बड़ी खबर…लोकप्रियता देख सरकार बिटक्वाइन पर टैक्स लगाने की तैयारी में 

कानपुर . ऑनलाइन टीम : वर्चुअल करेंसी बिटक्वाइन जिस तरह से लोकप्रिय होती जा रही है, इसे लेकर सरकार सावधान है। कारण यह है कि दुनियाभर में क्रिप्टोकरंसी बिटकॉइन का क्रेज तेजी से बढ़ रहा है। बिटकॉइन में निवेश करने वाले अमीर लोग इस ऑनलाइन करंसी के जरिए अपनी पूंजी को तेजी से बढ़ाना चाहते हैं। सरकार का मानना है कि उसके पास वर्चुअल करंसी का कोई डेटा नहीं है और इसलिए इसकी ट्रेडिंग में खतरा हो सकता है।

केंद्रीय आर्थिक खुफिया ब्यूरो और राजस्व खुफिया निदेशालय ने डिजिटल करेंसी पर जीएसटी लगाने का प्रस्ताव भेजा है। रिजर्व बैंक भी चौकन्ना है। इस करेंसी का कोई नियंत्रक नहीं है और न ही इसकी खरीद-फरोख्त पर दुनिया का किसी सरकार का नियंत्रण है। सेंट्रल जीएसटी के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि खुफिया आर्थिक एजेंसियां इस संबंध में विस्तृत रिपोर्ट तैयार कर चुकी हैं, जिसमें कहा गया है कि अकेले बिटक्वाइन से 10 हजार करोड़ रुपए का जीएसटी जनरेट हो सकता है।

बिटकॉइन की शुरुआत 2009 में हुई थी। शुरुआती कुछ सालों में बिटकॉइन में धीरे-धीरे बढ़ रही थी। लेकिन, 2015 के बाद से इसमें बड़ी तेजी देखने को मिली और यह दुनिया की नजरों में आ गई। कई देशों में इस वर्चुअल करंसी में ट्रेडिंग को लीगल माना गया और बिटकॉइन की कीमत लगातार बढ़ती गई। बिटकॉइन ट्रेडिंग डिजिटल वॉलेट के जरिए होती है। बिटकॉइन की कीमत दुनियाभर में एक समय पर समान रहती है। इसलिए इसकी ट्रेडिंग मशहूर हो गई।

इस देखते हुए अधिकारी ने बताया कि चूंकि बिटक्वाइन का कोई रूप नहीं है इसलिए इसे अदृश्य या अमृत संपत्ति की श्रेणी में रखा जाएगा। इसे शेयर, प्रॉपर्टी या रियल इस्टेट की तरह निवेश के विकल्प के रूप में देखा जाएगा। इसके बावजूद क्रिप्टोकरंसी को कैश मनी की श्रेणी में रखा जाएगा, जिसका इस्तेमाल भी किया जा सकता है। ऐसा इसलिए किया जाएगा ताकि मुद्रा कानूनों के तहत इसकी सख्त मॉनीटरिंग की जा सके। फिलहाल इसकी ट्रेडिंग पर लगाम एक बड़ी चुनौती है और इसकी वजह से रुपया, डॉलर या पौंड जैसी मुद्राओं पर असर पड़ने का खतरा खड़ा  हो गया है।