2019 की क्लोजर रिपोर्ट से बड़ा खुलासा… अर्नब ने आत्महत्या के लिए अन्वय नाइक को नहीं उकसाया

मुंबई. ऑनलाइन टीम : रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन चीफ अर्नब गोस्वामी को दो साल पुराने एक मामले में गिरफ्तार किया गया है। यह प्रकरण इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नाइक  और उनकी मां की आत्महत्या मामले से जुड़ा हुआ है। हैरत इस बात की है कि जिस केस को पुलिस ने ही अपनी ओर बंद कर दिया था, उसकी ही साल 2019 की क्लोजर रिपोर्ट से इस बात का खुलासा होता है कि अर्नब के खिलाफ अन्वय नाइक  को आत्महत्या के लिए उकसाने के कोई सबूत नहीं हैं। अब इस पूरी रिपोर्ट से पुलिस की हालिया कार्रवाई पर संदेह उत्पन्न हो रहा है।

सुरेश वरडे  द्वारा प्रस्तुत जांच रिपोर्ट में बताया गया है कि अन्वय नाइक छह या सात साल से वित्तीय संकट में थे। इसी परेशानी में अन्वय ने पहले अपनी मां का गला घोंट दिया था और फिर अपनी जान दी थी। अन्वय  ने अपने सुसाइड नोट में आरोप लगाया था कि  के अर्नब गोस्वामी व फिरोज शेख और स्मार्टवर्क के नितेश सारदा पर उनका 5.4 करोड़ रुपये का बकाया है, जिस कारण उन्हें यह कदम उठाने के लिए मजबूर होना पड़ा।

इसी सुसाइड नोट के आधार पर अलीबाग पुलिस ने तीनों के खिलाफ आत्महत्या के लिए उकसाने के आरोप में मामला दर्ज किया था। जांच के दौरान क्लोजर रिपोर्ट का आधार बनाकर पुलिस ने मजिस्ट्रेट कोर्ट में 25 पन्नों की जांच रिपोर्ट सौंपी थी। इस रिपोर्ट में बताया गया है कि सुरेश वरडे ने गोस्वामी, शेख और सारदा को समन जारी किया था। शेख और सारदा अलीबाग पुलिस में उसके सामने पेश हुए थे, जबकि अर्नब गोस्वामी को मुंबई में बयान दर्ज कराने के लिए कहा गया था। वरदे की रिपोर्ट में यह उल्लेख नहीं किया गया है कि उनका बयान कहां दर्ज किया गया था।

अर्नब गोस्वामी पर 83 लाख रुपये का बकाया : अन्वय नाइक के सुसाइड नोट में आरोप लगाया था कि अर्नब गोस्वामी पर उनका 83 लाख रुपये का बकाया था। रिपोर्ट के अनुसार, ‘शेख और सारदा पर अन्वय का बकाया था, लेकिन सभी बकाया कॉनकॉर्ड डिजाइन्स प्राइवेट लिमिटेड द्वारा काम को अधूरा छोड़ने या खराब गुणवत्ता के कारण था। कहीं भी रिपोर्ट इस बात का उल्लेख नहीं है कि अर्नब के उकसावे में अन्वय घातक कदम उठाने मजबूर हुए।

अन्वय नाइक के परिवार ने आरोप लगाया है कि इंस्पेक्टर सुरेश वरडे ने मामले को  ‘अविश्वसनीय’ बनाना चाहा और शिकायत वापस लेने के लिए उन्हें एक बयान पर हस्ताक्षर करने के लिए धमकाया, ताकि केस को पिछले साल जनवरी में बंद किया जा सके।