त्याग से ही बड़े-बड़े कार्यक्रम संपन्न होते हैं : चारुदत्त पिंगले

रामनाथी (गोवा) : समाचार ऑनलाईन – हिंदू राष्ट्र की स्थापना हेतु आवश्यक स्किल व क्षमता के साथ साधकत्व के विकास के लिए भी प्रयास जरूरी है। त्याग से ही बड़े-बड़े कार्यक्रम संपन्न होते हैं। सनातन धर्म का अंतिम पुरुषार्थ मोक्षप्राप्ति के लिए किए गए त्याग को ही माना गया है। यदि हम भगवत्भक्त बन जाएं तो भविष्य के संक्रमणकाल में भी ईश्वर हमारी रक्षा करेगा।फ यह मार्गदर्शन विश्व हिंदू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक डॉ। चारुदत्त पिंगले ने किया। वे अष्टम अखिल भारतीय हिंदू राष्ट्र अधिवेशन के अंतर्गत आयोजित हिंदू राष्ट्र संगठक प्रशिक्षण एवं अधिवेशनफ के समापन-सत्र में बोल रहे थे। इस अधिवेशन में विभिन्न राज्यों से 250 से ज्यादा धर्मप्रेमी शामिल हुए।

सनातन संस्था की धर्मप्रसारक बिंदा सिंगबाल ने कहा, यथा शुभम् तथा कुरुम। यानी जो शुभ है वही करना चाहिए। यह धर्मवचन है। हिंदू राष्ट्र की स्थापना का कार्य एवं साधना दोनों ही कार्य शुभ है। इन्हें अधिकाधिक करने का प्रयास करें।फ सनातन संस्था के धर्मप्रसारक नंदकुमार जाधव ने भी संबोधित किया।  5 से 8 जून तक चले इस अधिवेशन में ङ्गसमय का प्रबंधनफ, निर्णय क्षमता का विकास, समर्पित भाव से धर्मकार्य, हिंदू राष्ट्र की स्थापना के संदर्भ में जन-जागरण तथा धर्मकार्य के दौरान साधना का महत्व आदि विषयों पर मार्गदर्शन किया गया।

हिंदू राष्ट्र की स्थापना के विषय में जन-जागरण हेतु सूत्रों का प्रभावशाली तरीके से प्रस्तुतिकरण को लेकर मार्गदर्शन किया गया। आधुनिकतावादियों द्वारा हिंदू धर्म की आलोचना कर हिंदुओं में मतभेद फैलाने का प्रयास किया जा रहा है। हिंदू राष्ट्र के विषय में भी आपत्ति जताई जाती है। इस पृष्ठभूमि पर हिंदू राष्ट्र के बुनियादी कॉन्सेप्ट्स एवं उनके खंडन के विषय में मार्गदर्शन किया गया। यहां उपस्थित धर्मप्रेमियों ने इस कार्य के दौरान आने वाली समस्याओं की जानकारी दी। उन्हें इस समस्याओं को दूर करने को लेकर मार्गदर्शन किया गया। उपस्थित धर्मप्रेमियों ने जयतु जयतु हिंदूराष्ट्रम्फ का घोष करते हुए इसके निर्माण हेतु समर्पित होकर कार्य करने की शपथ ली।