बौनेपन की चपेट में बिहार का बचपन, 48 फीसदी बच्चे बौने 

पटना | समचार एजेंसी – तेज़ी से बढ़ते कुपोषण और बौनेपन को लेकर केंद्र से प्रदेश सरकार तक सतर्क हो गयी है । बिहार के 48 प्रतिशत बच्चे बौनेपन की चपेट में हैं । इससे मुकाबले के लिए तमाम योजनाओं को क्रियान्वित किया गया है, ताकि बिहार के बच्चे स्वस्थ हो जाएं । वर्ष 2015 तक का लक्ष्य रखा गया है । प्रदेश के 23 जिले संवेदनशील हैं, जहा कुपोषण के साथ ही बौनेपैन ने भी बच्चो को गिरफ्त में लिया है ।

मुख्य सचिव दीपक कुमार ने पिछले दिनों हुई बैठक में बच्चो में स्टेंटड ग्रोथ को लेकर विस्तार से चर्चा भी की थी । उन्होंने इसकी रोकथाम के लिए निर्धारित सूचकांक एवं लक्ष्यों की प्राप्ति के लिए तय कार्यक्रमों के लगातार अनुसरण पर जोर दिया था ।

उन्होंने समाज कल्याण. शिक्षा और स्वास्थ विभाग को इसके लिए गंभीरता से काम करने के निर्देश भी दिए थे । नेशनल फैमली हेल्थ सर्वे ४ के आंकड़ों पर नज़र डालें तो बिहार के बच्चो को सेहत अच्छी नहीं है । इस सरकार हरकत में आयी है ।

विशषज्ञों की माने तो कुपोषण तो था ही, अब नयी समस्या के रूप में बौनापन ने बिहार में पैर पसारे हैं । बच्चे दुबले पतले। कमजोर तो हो ही रहे है, अब उम्र के हिसाब से उनकी लम्बाई भी नहीं बढ़ रही । इसकी कई वजह हैं । जैसे कम उम्र में शादी, प्रयाप्त पौष्टिक आहार नहीं मिल पाना आदि । इसके कारण माँ कमज़ोर रहती है तो शिशु कैसे स्वस्थ होगा ।

ऐसी माताओं के शिशु बौनेपन और कुपोषण की चपेट में हैं राष्ट्रीय पोषण अभियान का मकसद प्रतिवर्ष दो फीसदी की दर से बौनापन, दो फीसदी की दर से कुपोषण, दो फीसदी की दर से दुबलापन और तीन फीसदी की दर से एनीमिया के मरीज़ों की संख्या में कमी लाना है ।

दरअसल हाल ही में राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ सर्वेक्षण की रिपोर्ट में बिहार में शून्य से पांच साल तक के 48. 3 फीसदी बच्चो को कुपोषण के चलते बौनापन का शिकार बताया गया है । साथ ही राज्य में कुल 47. 3 बच्चे कुपोषित है ।

अधिकारियों की माने तो सरकार ने केंद्र सरकार के साथ मिलकर पूरा कार्यक्रम तय कर लिया है । स्निप के माध्यम से सात साल का खाका खींचा गया है । मिशन मालन्यूट्रीशन फ्री इंडिया के तहत भी काम हो रहा है ।
संवेदनशील 23 जिलों में स्वास्थ विभाग के साथ मिलकर आंगनवाड़ी केंद्रों के माध्यम से काम किया जा रहा है । इसमें शिक्षा और स्वास्थ विभाग के भी पदाधिकारी लगातार नज़र रख रहे हैं और अपने स्तर से योजनाओं को सफल बनाने में मदद कर रहे हैं ।

संवेदनशील 23 जिलोंकी सभी परियोजनाओं के आंगनवाड़ी केंद्रों पर पर सरकार की नज़र है संवेदनशील 23 जिलों इन केंद्रों पर विशेष इंतजाम किये जा रहे हैं ।  सभी आंगनवाड़ी केंद्रों में प्रत्येक माह के 19 तारीख को अन्नप्राशन कार्यक्रम का आयोजन किया जा रह है ।