गौरतलब हो कि राज्यसभा में भाजपा के सहयोगी सांसद संजय काकड़े बीते कुछ दिनों से भाजपा से नाराज चल रहे हैं। पुणे मनपा के चुनाव में राष्ट्रवादी कांग्रेस और कांग्रेस में सेंध लगाकर भाजपा की सत्ता लाने में अहम भूमिका निभाने के बाद भी स्थानीय नेताओं से उन्हें यथोचित सम्मान नहीं मिला।
सी में पुणे की लोकसभा सीट से भाजपा की ओर से इच्छुक थे। यहां अपनी दाल न गलते देख उन्होंने राष्ट्रवादी कांग्रेस के हाईकमान शरद पवार से मुलाकात की थी। इसके बाद वे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष अशोक चव्हाण के साथ भी नजर आए। तब से उन्हें काँग्रेस से उम्मीदवारी मिलने की चर्चा शुरू हो गई।
बताया जा रहा था कि सांसद काकड़े को कांग्रेस के खेमे में जाने की सलाह शरद पवार ने ही दी थी। खलबली तब मच गई जब खुद काकड़े ने कांग्रेस में शामिल होने की बात कही। इसके बाद सचेत हुई भाजपा ने उन्हें मनाने की पुरजोर कोशिश शुरू की। काकड़े के समधी और सहकारिता मंत्री सुभाष देशमुख ने पहल की और मुख्यमंत्री के जरिये उन्हें भरोसा दिलाते हुए भाजपा में रोके रखने में अहम भूमिका निभाई। यहां कांग्रेस में भी स्थानीय स्तर पर काकड़े की उम्मीदवारी का विरोध जताया जाने लगा। नतीजन उन्होंने बगावत की अपनी तलवार म्यान करने में ही भलाई समझी।
आज मुंबई में राष्ट्रवादी कांग्रेस की प्रदेश उपाध्यक्ष भारती पवार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की मौजूदगी में भाजपा में प्रवेश किया। इस कार्यक्रम के मंच पर सांसद संजय काकड़े भी मौजूद थे। यहां अपने भाषण में मुख्यमंत्री ने काकड़े की नाराजगी का उल्लेख करते हुए कहा कि, उनकी नाराजगी स्थानीय स्तर से जुड़ी हुई है। इसका हल स्थानीय स्तर पर ही निकाल लिया जाएगा। काकड़े भाजपा में ही थे और हैं और रहेंगे। यही नहीं मुख्यमंत्री ने काकड़े पर न केवल पुणे जिला बल्कि पश्चिम महाराष्ट्र में भाजपा के प्रचार की अहम जिम्मेदारी सौंपने की घोषणा भी की। बहरहाल काकड़े के भाजपा में बने रहने की बात स्पष्ट होने से पुणे मनपा में उनके समर्थक नगरसेवकों ने राहत महसूस की क्योंकि वे फिलहाल कोई भी बड़ा बदलाव या फैसले के लिए तैयार न थे।