दोस्ती के नाम पर शिवसेना के इस प्रस्ताव से बढ़ीं भाजपा की मुश्किलें

मुंबई: शिवसेना को फिर से करीब लाने की कोशिशों में जुटी भाजपा के सामने उद्धव ठाकरे ने ऐसा प्रस्ताव रखा है, जिसे स्वीकार करना उसके लिए मुश्किल ही नहीं नामुमकिन है। सूत्रों के मुताबिक, शिवसेना चाहती है कि वह विधानसभा चुनाव में 152 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे, ताकि राज्य में उसकी स्थिति मजबूत हो और मुख्यमंत्री की कुर्सी पर उसका कब्ज़ा हो सके। आपको बता दें कि राज्य में कुल 288 सीटें हैं, ऐसे में यदि शिवसेना 152 सीटों पर चुनाव लड़ती है तो भाजपा के लिए महज 136 सीटें ही रह जाएँगी।

हालाँकि लोकसभा चुनाव को लेकर पार्टी पुराने फ़ॉर्मूले पर राजी हो सकती है। वैसे इसके पीछे भी उसकी सोची समझी रणनीति है। शिवसेना लोकसभा चुनाव को अपने लिए शक्ति परिक्षण के तौर पर देख रही है। राष्ट्रीय राजनीति में वह भाजपा से मुकाबला नहीं कर सकती, इसका आभास उसे भी है। इसलिए वह राज्य में अपना कद बढ़ाना चाहती है। लोकसभा चुनाव 2014 के फ़ॉर्मूले पर लड़कर पार्टी यह देखेगी कि उसका प्रदर्शन कैसा रहता है। यदि वह उम्मीद के अनुरूप प्रदर्शन करती है, तो विधानसभा में नए फ़ॉर्मूले के तहत भाजपा से मोलतोल होगा। और यदि पार्टी का प्रदर्शन खाफी ख़राब रहता है तो वह स्थिति को देखते हुए फैसला लेगी।

क्या है चिंता
शिवेसना प्रमुख उद्धव ठाकरे भले ही भाजपा से अलग रहने की बात कर रहे हैं, लेकिन पार्टी के कई नेता चाहते हैं कि दोनों दल साथ चुनाव लड़ें। उन्हें इस बात की चिंता है कि भाजपा  से अलग होकर चुनाव में उतरने से नुकसान उठाना पड़ सकता है। सूत्रों की मानें तो पार्टी कार्यकर्ताओं की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए कि उद्धव ने अमित शाह से मुलाकात में 152 सीटों का प्रस्ताव रखा है।

पीएम की वापसी का इंतजार
भाजपा इस पर क्या फैसला लेगी ये तो वक़्त ही बताएगा, लेकिन सूत्र बताते हैं कि पार्टी शिवसेना को 130 से ज्यादा सीटें देने को तैयार नहीं है। इसके साथ ही आलाकमान ने कार्यकर्ताओं को अकेले चुनाव लड़ने के लिए तैयार रहने के लिए भी कहा है। माना जा रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी के स्वदेश लौटने के बाद इस पर कोई अंतिम फैसला लिया जा सकता है।