पुणे, 24 नवंबर दिन भर रक्तदान के लिए सौ फ़ोन किये जाने के बाद दो लोगों ने रक्तदान किया। कोरोना के डर की वजह से रक्तदाताओं ने रक्तदान से मुंह फेर रखा है। रक्तदान संयोजकों को ब्लडबैंक से रिस्पांस नहीं मिल रहा है। इस वजह से राज्य के ब्लड बैंकों में खून की कमी महसूस की जा रही है।
राज्य के ब्लड बैंकों में रक्त की कमी होने से तय ऑपरेशन आगे बढ़ाना पड़ रहा है। जबकि तुरंत ऑपरेशन की जरुरत वाले मामले में रक्त की व्यवस्था करना मुश्किल हो रहा है। राज्य में कोरोना के मामले का सीधा असर रक्त संकलन पर हो रहा है। ब्लड बैंक के अधिकतर बैग ब्लड बिना खाली पड़े है।
ससून हॉस्पिटल के ओपीडी में रक्तदानं की व्यवस्था की गई है। लेकिन दिन भर में वहां एक भी रक्तदाता नहीं आ रहे है। रक्तदान करने की बार बार अपील की जा रही है लेकिन डॉक्टरों का कहना है कि कोई रिस्पांस नहीं मिल रहा है।
थैलेसेमिया के मरीज को नियमित रूप से रक्त की जरुरत होती है। पुणे में रक्त की कमी पैदा होने की वजह से रक्त की लिए काफी प्रयास करना ;पड़ रहा है। कुछ मरीजों के परिजनों को रक्त के लिए भागदौड़ करनी पड़ रही है। इसकी वजह से रक्त लेने की प्रक्रिया दो-तीन दिन आगे पीछे हो रही है। यह जानकारी थैलेसेमिया सोसाइटी के सदस्य जतिन सेजपाल ने दी।
केईएम के ब्लड बैंक के प्रमुख डॉ. आनंद चाफेकर ने बताया कि कुछ ऑपरेशन होने है लेकिन रक्त नहीं मिलने की वजह से उसे आगे बढ़ाना पड़ रहा है। कुछ ऑपरेशन में मरीजों के परिजनों को संबंधित ग्रुप का ब्लड की व्यवस्था करने की विनती की जा रही है।
जनकल्याण के एक्सक्यूटिव डायरेक्टर डॉ. अतुल कुलकर्णी ने बताया कि कोरोना की वजह से कॉलेज बंद है। सुचना टेक्नोलॉजी कंपनियां खुली है लेकिन इनमें से भी अधिकांश लोग घरों से काम कर रहे है। औधोगिक कारखानों में रक्तदान शिविर नहीं होता है। इन सबका असर रक्त संकलन पर हो रहा है। ब्लड बैंक में ब्लड की कमी है।