चासकमान के विस्थापितों को मिला न्याय लेकिन संघर्ष जारी

कहु कोयाली में 40 वर्षों के बाद सड़क, बिजली और पानी की समस्या का समाधान हुआ

राजगुरुनगर : समाचार ऑनलाइन – चासकमान डैम की वजह से पिछले 40 वर्षों से विस्थापित कहु कोयाली गांव की सड़क, पानी व बिजली जैसी मूलभूत सुविधाओं के लिए कड़ा संघर्ष करने के बाद विस्थापित लोगों को न्याय मिला है, लेकिन डैम पीड़ित किसानों ने पुनर्वसन के लिए संघर्ष जारी रखा है। यह कब थमेगा? इसका जवाब किसी के पास नहीं है। ग्रामीण एकजुट होकर इस संघर्ष को रोकने का प्रयास कर रहे हैं।

ठाकरवाड़ी (कहु कोयाली) में नागरिकों के लिए कांक्रीट की सड़क व पीने के पानी के लिए नये कुएं चाकण के केईनफाय कंपनी द्वारा सामाजिक दायित्व के तहत बनाए जाएंगे। इसका भूमिपूजन हाल ही में कंपनी के अधिकारी श्रीकांत मापारी व कहु गांव की सरपंच सुरेखा वाढाणे के हाथों हुआ। इस दौरान केईनफाय कंपनी के संजय शिंदे, हर्षवर्धन चिंधडे, भीमराव गायकवाड़, शिवसहकार सेना के जिलाध्यक्ष शंकरराव दाते, कहु कोयाली के उपसरपंच एड्। संतोष दाते, ग्रामसेविका मोनिका गुंजाल, संतोष सुपे, सुर्वण वाढाणे, पुलिस पाटिल अनिल दाते, गणेश वाढाणे, दत्तात्रय दाते, योगेश वाढाणे व वसंत दाते सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित थे।

विस्थापित हुए कहु कोयाली गांव की समस्या कुछ हद तक समाप्त हो गई हैं लेकिन इस गांव के ठाकरवाड़ी में आदिवासी ठाकर समाज के परिवारों की स्थिति बेहद दयनीय है। वाड़ी में सड़क, पानी और बिजली नहीं होने से आदिवासी ठाकर समाज आज भी खुद को गुलाम की तरह महसूस करते हैं। गांव के युवक शंकर दाते के जरिए कहु कोयाली गांव सहित ठाकरवाड़ी की समस्याओं के समाधान के लिए जिला परिषद व पंचायत समिति द्वारा प्रयास किए गए, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। आखिरकार गांव के युवकों ने चाकण की कुछ बड़ी कंपनियों से संपर्क कर इन कंपनियों के सामाजिक दायित्व फंड प्राप्त करने का प्रयास किया। इसी क्रम में यहां के केईनफाय कंपनी ने ठाकरवाड़ी के लिए कंक्रीट की सड़क और पीने के पानी के लिए कुएं तैयार करने के लिए फंड उपलब्ध कराया है। इस फंड के जरिए इन कार्यों की पूर्ति की जाएगी। फंड के लिए ग्रामसेविका मोनिका गुंजाल ने कंपनी के प्रति आभार जताया है।

40 वर्ष पहले चासकमान डैम के कारण विस्थापित कहु कोयाली गांव का विकास अभी तक नहीं हुआ है। चासकमान डैम के कारण विस्थापित हुए इस गांव में सड़क, बिजली, पानी, पब्लिक हेल्थ  जैसी सुविधाओं का अभाव है। इन गांवों में ठाकरवाड़ी  की स्थिति ज्यादा खराब थी। इप गांवों के नागरिकों ने 40 वर्षों तक संघर्ष करते हुए सड़क, पीने के पानी और बिजली की समस्या का समाधान कराया है।