खुले आसमान तले पढ़ाई करने पर विवश हैं यहां के बच्चे 

मुंबई। समाचार ऑनलाइन  
विकास की वेदी पर चढ़ गए एक बालवाड़ी के बच्चे खुले आसमान के नीचे पढ़ाई करने हेतु विवश हैं। मामला सांताक्रुज पूर्व स्थित न्यू अग्रिपाडा का है जहां भारतीय संस्कार मंडल बालवाडी चलाता है। उस बालवाडी में मासूम बच्चे सुबह-दोपहर-शाम पढ़ाई करने के लिए आते हैं। मेट्रो रेल कारिडोर के निर्माण की वजह से मुंबई महानगर प्रदेश व‍िकास प्रध‍िकरण (एमएमआरडीए) के तोड़क दस्ते ने इस बालवाड़ी के बच्चों की वैकल्पिक व्यवस्था किये बिना ही उसे ढहा दिया।
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संस्था के अध्यक्ष डॉ सत्येंद्र सिंह ने बताया कि मेट्रो रेल कारिडोर के निर्माण की वजह से बालवाडी को न्यू अग्रिपाडा से हटाया जाना था। बालवाडी हटाने को लेकर संस्था का कोई विरोध नहीं था। इस संबंध में 14 नवंबर 2017 को मुंबई महानगर प्रदेश व‍िकास प्रध‍िकरण (एमएमआरडीए) अधिकारियों के साथ संस्था के लोगों की बैठक हुई थी जिसमें हमने आग्रह किया गया था कि इस बालवाडी को दूसरी जगह शिफ्ट करने की व्यवस्था की जाए। बैठक में तत्कालीन एमएमआरडीए अधिकारी अश्विनी भिडे ने आश्वासन दिया था कि तोड़क कार्रवाई से पहले बालवाडी के लिए व्यवस्था की जाएगी, पर उनका आश्वासन झूठा साबित हुआ।
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इस साल 22 जुलाई को एमएमआरडीए ने आसपास के क्षेत्रों में एक नोटिस लगाया कि मेट्रो रेल कॉरिडोर के निर्माण के लिए तोड़क कार्रवाई करने वाले थे। संस्था के लोग एमएमआरडीए के अधिकारियों से जब मिले, तब उन्होंने कहा कि बालवाडी नहीं तोड़ा जाएगा। लेकिन 7 सितंबर को अचानक ही तोड़क दस्ता वहां पहुंचा और बालवाडी को नेस्तनाबूत कर दिया। बालवाडी में रखे सामान भी निकालने का मौका अधिकारियों ने नहीं दिया। मासूम बच्चों के खेलने के लिए रखा गया सामान, उपकरण और पुस्तकों पर बड़ी ही बेशर्मी से अधिकारियों ने बुलडोजर चलाकर मासूमों के सपने चकनाचूर कर दिया। एमएमआरडीए के खिलाफ बच्चे और उनके अभिभावक अब सड़क पर उतर आए हैं। अब उसी स्थान पर खुले में बालवाडी चलाई जा रही है।