खतरे में आये ‘उन’ नगरसेवकों को बचाने में जुटी सरकार

पिंपरी। समाचार ऑनलाइन

जाति प्रमाण पत्र समय पर ना पेश करने वाले नगरसेवकों के पद रद्द करने के आदेश सुप्रीम कोर्ट ने दिए हैं। इससे कोल्हापुर के साथ ही पुणे, पिंपरी चिंचवड और राज्य की कई मनपा के नगरसेवकों की सदस्यता खतरे में आ गई है। इसमें पुणे के सात और पिंपरी चिंचवड़ मनपा के चार नगरसेवक शामिल हैं।

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इन नगरसेवकों को राहत देने की के लिए राज्य सरकार ने कमर कस ली है। इसके अनुसार जाति पड़तालनी प्रमाणपत्र पेश करने के लिए 6 माह के बजाय एक साल की मियाद निश्चित करने का प्रयास जारी है। महाराष्ट्र के राजस्व लोक निर्माण मंत्री चंद्रकांत पाटील ने इसके संकेत दिए हैं। बीते दिन पुणे के औंध आईटीआई में पंजाबराव देशमुख हॉस्टल के उदघाटन के लिए वे पुणे पधारे थे। यहां जब उनसे सुप्रीम कोर्ट के फैसले से नगरसेवकों के पदों पर मंडरा रहे खतरे के बारे में पूछने पर पूछा गया तब उन्होंने कहा कि, इस बारे में राज्य सरकार कानून में बदलाव लाने का विचार कर रही है। जाति पड़तालनी के लिए 6 माह की बजाय एक साल की मियाद निश्चित करने का फैसला सरकार की कैबिनेट बैठक में किया जाएगा उन्होंने यह भी कहा कि कानून के दायरे में रहकर ही यह बदलाव किया जाएगा।

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मराठा आरक्षण के मामले में उन्होंने भरोसा दिलाया कि राज्य सरकार मराठा आरक्षण के लिए कटिबद्ध है आरक्षण से मराठा समाज को जो भी सुविधा सहूलियतें मिलने वाली है उसे देने की कोशिशें जारी हैं। इन योजनाओं और सुविधाओं का लाभ समाज के जरुरतमंदों तक पहुंचाने के लिए मराठा संगठनों को आगे आना चाहिए, यह मत भी उन्होंने व्यक्त किया।  इस उदघाटन समारोह में जिले के पालक मंत्री गिरीश बापट, सांसद अनिल शिरोले, विधायक विजय काले, जिलाधिकारी नवल किशोर राम, लोक निर्माण विभाग के चीफ इंजीनियर राजेंद्र रहाने, कार्यकारी अभियंता निरंजन तेलंग, राजेंद्र कोंढरे आदि उपस्थित थे।