चंडीगढ़ : समाचार ऑनलाइन – आज भारतीय वायुसेना में चिनूक हेलीकॉप्टर्स को शामिल कर लिया गया। जिससे आसमान में देश की ताकत और बढ़ेगी। इस मौके पर भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल बीएस धनोआ भी मौजूद थे। जिन्होंने इसे ‘राष्ट्रीय धरोहर’ करार दिया। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे में जबकि राफेल लड़ाकू विमान भी लड़ाकू विमानों के बेड़े में शामिल होने जा रहा है, यह (चिनूक) भारतीय सुरक्षा के लिहाज से ‘गेम चेंजर’ साबित होगा।
चिनूक हेलीकॉप्टर्स को भारतीय वायुसेना में शामिल करने के लिए यहां आयोजित समारोह में एयर चीफ मार्शल ने कहा कि देश आज कई सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है और ऐसे में विभिन्न क्षेत्रों में यह बेहद कारगर साबित हो सकता है। यह हेलीकॉप्टर सैन्य अभियान में भी मददगार हो सकता है और दिन के साथ-साथ रात में भी अपनी सेवा दे सकता है। इसे ‘राष्ट्रीय धरोहर’ करार देते हुए उन्होंने कहा कि आसमान में भारत की ताकत में वृद्धि के लिहाज से यह ‘गेम चेंजर’ साबित होगा।
Air Chief Marshal BS Dhanoa at induction ceremony of Chinook helicopters in Chandigarh:Country faces a multiple security challenges; we require vertical lift capability across a diversified terrain. Chinook has been procured with India specific enhancements; it's a national asset pic.twitter.com/UWwXvcz9Fc
— ANI (@ANI) March 25, 2019
एयर चीफ मार्शल ने इस दौरान पाकिस्तान का भी जिक्र किया और कहा कि एक बार राफेल विमानों के भारतीय वायुसेना के बेड़े से जुड़ जाने के बाद पड़ोसी मुल्क का कोई विमान न तो नियंत्रण रेखा पर नजर आएगा और न ही सीमा पर। उन्होंने कहा, ‘जब राफेल आ जाएगा, हमारी वायुसेना की क्षमता कई गुना ज्यादा बढ़ जाएगी। हमारी ताकत इतनी हो जाएगी कि वे (पाकिस्तान) वे एलओसी या सीमा पर नहीं आएंगे। हमारी क्षमता ऐसी होगी कि आज उनके (पाकिस्तान) पास इसका कोई जवाब नहीं है।
चिनूक हेलीकॉप्टर्स –
चिनूक हेलीकॉप्टर्स का इस्तेमाल इससे पहले वियतनाम युद्ध से लेकर अफगानिस्तान और इराक में भी हो चुका है। इसने सबसे पहले 1962 में उड़ान भरी थी, लेकिन तब से अब तक इसमें सुरक्षात्मक लिहाज से कई उन्नत प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करते हुए इसे अपग्रेड किया गया है और आज इसकी गिनती दुनिया के उन्नत हेलीकॉप्टर्स में होती है। यह 9.6 टन का भार वहन करते हुए बेहद ऊंचाई तक उड़ान भर सकता है और अपने साथ भारी मशीनरी के अलावे हथियार भी ले जा सकता है। यह दुर्गम पहाड़ी क्षेत्रों में भी कारगर तरीके से काम कर सकता है और इसका इस्तेमाल सैनिकों को एक-जगह से दूसरे स्थान पर ले जाने के साथ-साथ आपदा राहत कार्यों में भी किया जा सकता है।
चिनूक हेलीकॉप्टर्स की खरीद अमेरिका से की गई है। सरकार ने बीते वर्ष इसके लिए मंजूरी दी थी। 15 चिनूक हेलीकॉप्टर्स 22 अपाचे हेलीकॉप्टर्स की खरीद के लिए अमेरिका के साथ करीब तीन अरब डॉलर का करार किया गया है। भारत को 15 चिनूक हेलीकॉप्टर्स में से चार सैन्य हेलीकॉप्टर्स की पहली खेप फरवरी में मिली है, जिसका निर्माण अमेरिकी डिफेंस फर्म बोइंग ने किया है।