डिप्टी सीएम बनते ही 48 घंटे में अजीत पवार को सिंचाई घोटाले से जुड़े 9 मामले में क्लीनचिट

मुंबई : समाचार ऑनलाइन – महाराष्ट्र में जितनी तेजी से सियासत के दांव पेंच खेले जा रहे हैं उसी तेजी से विरोधी को अपना बनाने और उस पर लगे दागों को मिटाने की जल्दबाजी भी शुरू हो गई. महाराष्ट्र में अभी ये तय भी नहीं हो पा रहा है कि बगैर बहुमत साबित किए चल रही देवेंद्र फडणवीस की सरकार बची रहेगी या नहीं, लेकिन महज 48 घंटे में ही उपमुख्यमंत्री के रूप में शपथ लेने वाले अजीत पवार को सिंचाई घोटाले से जुड़े 9 मामले में क्लीनचिट मिल गई है. एसीबी ने 70,000 करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले में अजीत पवार को क्लीनचिट दी है. बताया जा रहा है कि मुंबई हाईकोर्ट के निर्देशों के बाद उन्हें क्लीनचिट दी गई है.

इस मामले में एसीबी के डीजी ने कहा कि सिंचाई घोटालों के 9 केसों में पवार की कोई भूमिका नहीं थी. उन्होंने कहा कि सिंचाई घोटाले से जुड़े मामले में लगभग 3000 अनियमितताओं की जांच की जा रही है जिनमें से 9 मामलों में उनकी कोई भूमिका नहीं थी.

शनिवार को ही लिया था शपथ
शनिवार को अचानक से अजीत पवार ने भाजपा को समर्थन देते हुए देंवेंद्र फडणवीस के साथ उपमुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी. उनके इस कदम के बाद से महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल आया हुआ है. वहीं दूसरी तरफ सोमवार से नई सरकार ने अपना कामकाज भी शुरू कर दिया और मात्र 48 घंटे में ही सिंचाई घोटाले से जुड़े 9 मामलों में अजीत पवार को क्लीन चिट दे दी गई.

2018 में जिम्मेदार ठहराया गया था
70 हजार करोड़ रुपए के सिंचाई घोटाले में एसीबी ने नवंबर 2018 में अजीत पवार को दोषी ठहराया था. इसमें तब उप मुख्यमंत्री रहे अजीत पवार और अन्य सरकारी अधिकारियों द्वारा भारी चूक की बात सामने आई थी. अजीत पवार के पास 1999 से 2014 के दौरान कांग्रेस-राकांपा गठबंधन सरकार में सिंचाई विभाग की जिम्मेदारी थी.
एनजीओ ने जताई थी चिंता

एनजीओ ने याचिका में विदर्भ और कोंकण सिंचाई विभाग द्वारा शुरू की गई सिंचाई परियोजनाओं में कथि गड़बड़ी पर चिंता जताई थी. जवाबी हलफनामे में जल संसाधन विभाग के अंदर घोटाले को साजिश का एक विचित्र मामला बताया गया जिसने सरकार से ठगी की.