जटिलता बनी उदासीनता का सबब; सरकार से लगी मियाद बढ़ाने की गुहार

अवैध निर्माणों के नियमितीकरण हेतु मिले मात्र 24 आवेदन

पिंपरी । पुणे समाचार

तत्कालीन सत्ताधारी राष्ट्रवादी कांग्रेस के बाद अब मौजूदा सत्ताधारी भाजपा के लिए भी अवैध निर्माणों के नियमितीकरण का मसला जी का जंजाल बन गया है। राज्य सरकार ने नियमितीकरण का फैसला तो कर दिया मगर उसके लिए जो शर्तें रखी हैं और जो शुल्क तय किये हैं वो काफी जटिल हैं। इसके चलते लोगों ने इसकी ओर पीठ घुमा दी है। यही वजह है कि पिंपरी चिंचवड़ में सवा लाख के करीब अवैध निर्माण रहने के बावजूद नियमितीकरण के लिए अंतिम मियाद तक मात्र 24 ही आवेदन प्राप्त हो सके हैं। नियमितीकरण की जटिलता ही लोगो की उदासीनता की वजह है, इसके चलते मनपा की सत्ताधारी भाजपा ने राज्य सरकार से नियमितीकरण की मियाद और 6 माह तक बढ़ाने की गुहार लगाई है।

राज्य सरकार ने जुलाई 2017 में अवैध निर्माणों के नियमितीकरण के लिए प्रारूप नियमावली तैयार की। इसमें 31 दिसम्बर 2015 तक के अवैध निर्माणों को संरक्षण देने का फैसला किया गया है। लोगों से आपत्ति- सुझाव मिलने के बाद नियमितीकरण की अंतिम अधिसूचना जारी की गई। इस फैसले से शहर के हजारों लोगों को राहत मिलने का दावा करते हुए सत्ताधारी नेताओं ने होर्डिंग आदि के जरिए खूब वाहवाही लूटी। हांलाकि अधिसूचना जारी होते ही नियमतिकरण की राह काफी कठिन नजर आने लगी। क्योंकि नियमितीकरण के लिए रेडिरेकनर को आधार मानकर प्रशमन और सुविधा शुल्क के तौर पर रेडिरेकनर के 16 फीसद दंड तय किया गया। उसके अलावा टेरेस, पार्किंग, मंजिल आदि के लिए अतिरिक्त शुल्क निश्चित किये गए। इसके चलते लोग नियमितीकरण को लेकर उदासीन बने रहे। 1 नवम्बर से इसकी प्रक्रिया शुरू की गई और 30 अप्रैल अंतिम मियाद तय की गई। इस मियाद में मात्र 24 आवेदन ही प्राप्त हो सके। अब प्रशासन व सत्तादल ने सरकार से मियाद बढ़ाने की गुहार लगाई है। बहरहाल सत्तादल ने सर्व साधारण सभा में नियमितीकरण के शुल्क निर्धारण में शिथिलता लाने का प्रस्ताव पारित कर राज्य सरकार के पास अंतिम मंजूरी के लिए भेजा है, उस पर भी अब तक कोई फैसला नहीं हो सका है।