महापौर पद के दावेदार शत्रुघ्न काटे का जाति वैधता प्रमाणपत्र पर विवाद

पिंपरी। पुणे समाचार ऑनलाइन

महापौर पद के लिए प्रबल इच्छुक रहे भाजपा नगरसेवक शत्रुघ्न काटे कक जाति वैधता प्रमाणपत्र फिर विवादों में घिर गया है। उनके प्रतिस्पर्धी कैलाश कुंजीर ने रविवार को एक संवाददाता सम्मेलन में उच्च न्यायालय द्वारा काटे का प्रमाणपत्र खारिज किये जाने का दावा करते हुए उनका नगरसेवक पद रद्द कर पिंपले सौदागर प्रभाग में उपचुनाव की मांग की है। वहीं काटे ने दावा किया कि, उच्च न्यायालय ने उनके जाति वैधता प्रमाणपत्र की पुनः जांचने के आदेश दिये हैं। उन्होंने आरोप लगाया है कि महापौर पद के प्रबल दावेदार रहने से उन्हें टार्गेट किया जा रहा है।

फरवरी 2017 में हुए पिंपरी चिंचवड़ मनपा के चुनाव में शत्रुघ्न काटे पिंपले सौदागर प्रभाग नम्बर 28 की ओबीसी प्रवर्ग हेतु आरक्षित सीट से चुनाव जीते है। उनके कुणबी जाति प्रमाणपत्र पर आपत्ति जताते हुए उनके प्रतिस्पर्धी प्रत्याशी कैलाश कुंजीर ने उच्च न्यायालय में याचिका दायर की है। इसकी हालिया हुई सुनवाई में न्यायालय ने काटे के जाति वैधता प्रमाणपत्र की 29 सितंबर 2018 तक पुनः जांच करने के आदेश दिए हैं। जाति प्रमाणपत्र पडतालनी समिति कप उचित कागजात ब्यौरेवार कारण मीमांसा कर फैसला करने के आदेश दिए हैं।

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आज एक संवाददाता सम्मेलन में कैलाश कुंजीर और उनके वकील ने उच्च न्यायालय ने काटे का जाति वैधता प्रमाणपत्र ख़ारिज किये जाने का दावा किया है। चुनाव के छह माह के भीतर वैधता प्रमाणपत्र पेश करना अनिवार्य है। अब मनपा आयुक्त किस कानून के तहत पुनः जांच के बाद काटे का प्रमाणपत्र स्वीकारेंगे? यह सवाल उठाते हुए उन्होंने काटे की सदस्यता खारिज कर उपचुनाव कराने की मांग की है। वहीं काटे ने एक अलग विज्ञप्ति के जरिए उच्च न्यायालय ने उनके जाति वैधता प्रमाणपत्र की वैधता को पुनः जांचने के आदेश दिए जाने का दावा करते हुए आरोप लगाया कि उनके विरोधी अदालत के आदेश को लेकर जानबूझकर गलतफहमी निर्माण कर रहे हैं। अगर मेरे कागजात फर्जी होते तो अदालत मेरा प्रमाणपत्र खरिज कर देती न कि पुनः जांच के आदेश देती। इससे पहले पुनः जांच के बाद महापौर नितिन कालजे और पूर्व उपमहापौर प्रभाकर वाघेरे के जाति वैधता प्रमाणपत्र वैध साबित होने के उदाहरण भी उन्होंने गिनाए। पुनः जांच में सारी सच्चाई सामने आ जायेगी, यह दावा भी उन्होंने किया।