बेटी कुहू ने किया भय्यू महाराज का अंतिम संस्कार

इंदौर। समाचार एजेंसी

बीते दिन खुद को गोली मारकर अपनी जीवनलीला समाप्त करनेवाले राष्ट्रसंत भय्यू महाराज का भमोरी स्थित मुक्तिधाम में अंतिम संस्कार कियबगया। उनकी पार्थिव देह को बेटी कुहू ने मुखाग्नि दी। इससे पहले हजारों भक्तों के साथ उनकी शवयात्रा मुक्तिधाम पहुंची, जहां शास्त्रोक्त विधि-विधान के साथ अंतिम संस्कार संपन्न हुआ। जिस गाड़ी में भय्यूजी महाराज की पार्थिव देह को रखा गया था उसको फूलों से सजाया गया था। यहाँ विभिन्न क्षेत्रों से जुडी जानी-मानी हस्तियों ने उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की।

अंतिम संस्कार से पूर्व भय्यू महाराज की पार्थिव देह को बॉम्बे हॉस्पिटल से उनके निवास स्थान स्कीम नंबर 74 स्थित आवास ‘शिवनेरी’ में लाया गया और यहां से सूर्योदय आश्रम ले जाया गया। जहां पर बड़ी संख्या में उनके शिष्य उनके अंतिम दर्शन के लिए पहुंचे। भय्यूजी महाराज कोे श्रद्धांजलि देने वालो में केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्यमंत्री मंत्री रामदास आठवले, मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, महाराष्ट्र की ग्रामविकास मंत्री पंकजा मुंडे, विधायक रमेश मेंदोला, कांग्रेस नेता कृपाशंकर शुक्ल, इंदौर के पूर्व महापौर कृष्ण मुरारी मोघे, महेन्द्र हार्डिया, पूर्व विधायक तुलसी सिलावट, अलवर विधायक नरेंद्र शर्मा, महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस के ओएसडी श्रीकांत, मध्य प्रदेश सरकार में मंत्री दर्जा प्राप्त कम्प्यूटर बाबा, कांग्रेस नेता शोभा ओझा, इंदौर की महापौर मालिनी गौड़, कलेक्टर निशांत वरवड़े और डीआईजी हरिनारायणाचारी मिश्र शामिल थे। भय्यू महाराज के अंतिम दर्शनों के लिए देश- विदेश खासकर महाराष्ट्र से बड़ी संख्या में भक्त पहुंचे थे।

दुनिया को तनावमुक्त जीवन का संदेश देने वाले राष्ट्रसंत भय्यू महाराज अपने खुद के जीवन में तनाव से हार गए और तनाव उनके ऊपर इस हद तक हावी हुआ कि उन्होने जिंदगी को अलविदा कहने का मन बना लिया। मंगलवार को उन्होंने गोली मारकर खुदकुशी कर ली थी। उनकी मौत की खबर आने के बाद देर रात तक श्रद्धांजलि का सिलसिला चलता रहा। उनकी मौत के बाद से उनके अनुयायी और पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई है। खुद को गोली मारने से उन्होंने पहले एक सुसाइड नोट भी लिखा था। उसमें लिखा कि वो जिंदगी के तनाव से परेशान हो चुके हैं। उनकी मौत के लिए कोई जिम्‍मेदार नहीं है।

29 अप्रैल 1968 को जन्मे भय्यू महाराज का असली नाम उदयसिंह देखमुख था। वे शुजालपुर के जमींदार परिवार से ताल्लुक रखते थे। कपड़ों के एक ब्रांड के लिए मॉडलिंग करने के बाद वे गृहस्थ संत बन चुके थे। सदगुरु दत्त धार्मिक ट्रस्ट उनकी ही देखरेख में चलता था। उनका मुख्य आश्रम इंदौर के बापट चौराहे पर है। उनकी पत्नी माधवी का दो साल पहले निधन हो चुका है। पहली शादी से उनकी एक बेटी कुहू है, जो पुणे में रहकर पढ़ाई कर रही है। पहली पत्नी माधवी के निधन के बाद उन्होने ग्वालियर की डॉक्टर आयुषी शर्मा से दूसरा विवाह किया था। दूसरी पत्नी और बेटी कुहू की आपस में नहीं बनती थी, भय्यू महाराज की खुदकुशी के पीछे यह भी बड़ी वजह बताई जा रही है। पुलिस को दिए बयान में पत्नी-बेटी ने पारिवारिक विवाद की बात करते हुए एक-दूसरे पर आरोप लगाया है