सपना बनकर रह गई ब्लैकमनी बाहर लाने की घोषणा 

नोटबंदी की सालगिरह की पूर्वसंध्या पर शरद पवार का कटाक्ष 
पिंपरी। संवाददाता – हर साल की तरह दिवाली पाड़वा पर पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री और राष्ट्रवादी कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष शरद पवार ने बारामती में व्यापारियों और प्रतिष्ठितों से संवाद साधा। नोटबंदी के फैसले की पूर्वसंध्या पर पवार ने भाजपा सरकार की नीतियों पर कड़ी टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि, ब्लैकमनी बाहर लाने के उद्देश्य से नोटबंदी का फैसला पूरी तरह से फंस गया। इस फैसले ने न तो ब्लैकमनी बाहर पायी, न आतंकी गतिविधियां रुकी, लोगों को प्रचंड मनःस्ताप सहन करना पड़ा। नए नोटों की छपाई के लिए कए गए भरी खर्च और नोटों की किल्लत से बाजार में जो आर्थिक अस्थिरता निर्माण हुई वह आज तक कायम है। इस अस्थिरता से देश की अर्थव्यवस्था की अवस्था विकट हो गई है।
नोटबंदी से ब्लैकमनी बाहर आएगी यह घोषणा सपना बनकर रह गई, यह कटाक्ष करते हुए पवार ने कहा कि, नोटबंदी के बाद बड़ा गोलमाल बाहर आएगा, यह सोचकर सभी लोग खुश थे। मगर स्विस बैंक ने उसके अकाउंट की जानकारी देने में असमर्थता दर्शायी। 15 -15 लाख रूपये हर एक के अकाउंट में जमा होंगे, ऐसा देश के मुखिया ने घोषित किया था, अब देशवासी उनके अकाउंट में पैसे जमा होने का इन्तजार कर रहे हैं। आज दो साल बाद देश के वित्तमंत्री बता रहे हैं कि लोगों के पास जमा पैसे बाहर आये और टैक्स देनेवालों का नेटवर्क बढे इस उद्देश्य से नोटबंदी का फैसला किया गया था। नोटबंदी के दो साल बाडी भी सरकार बता नहीं पा रही है कि ब्लैकमनी कहाँ गई?
भाजपा सरकार की नाकामियों को गिनाते हुए शरद पवार ने कहा कि, आर्थिक स्तर पर नाकाम होने के बाद केंद्र सरकार सीबीआई, ईडी, आरबीआई जैसी देश की सर्वोच्च संस्थाओं पर अपरोक्ष हमले शुरू किये हैं। आरबीआई के पास पैसों की मांग करना, सीबीआई के प्रमुखों के बारे में देर रात फैसले करना चिंताजनक है। आझादी के बाद कभी सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीशों को प्रेस कॉन्फ्रेंस लेकर अपनी भूमिका स्पष्ट करने की नौबत नहीं आयी। ऐसा इससे पहले कभी नहीं हुआ है। बैंक ऑफ़ महाराष्ट्र के अध्यक्ष के खिलाफ गिरफ्तारी की कार्रवाई गलत थी जिससे बैंक की वित्तापूर्ति पर विपरीत असर हुआ। सर्वोच्च संस्थाओं में सरकार का बढ़ता हस्तक्षेप लोकशाही के नजरिये से घातक है, यह भी उन्होंने कहा।
सरकार के गलत आर्थिक फैसलों से देश में कम से कम और एक साल भारी मंदी का माहौल कायम रहेगा। आने वाले चुनावों में सत्ता परिवर्तन होता है तो कुछ हद तक निवेश के लिहाज से तस्वीर बदल सकेगी। अन्यथा दिवालिया होने की खबरों पर कोई अचरज नहीं होगा। अपने घंटेभर के भाषण में पवार ने नोटबंदी, ब्लैकमनी, आरबीआई व सीबीआई  के हालात, किल्लत, अकाल, देश की अर्थव्यवस्था की विकत हालत जैसे कई मुद्दों का विस्तृत विशेलषण किया। बारामती के दि मर्चंटस असोसिएशन द्वारा आयोजित इस कार्यक्रम में भूतपूर्व उपमुख्यमंत्री अजित पवार, सांसद सुप्रिया सुले, नगराध्यक्षा पौर्णिमा तावरे, असोसिएशन के अध्यक्ष महावीर वडूजकर, पूर्व नगराध्यक्ष जवाहर वाघोलीकर, सदाशिव सातव समेत कई गणमान्यों की मौजूदगी रही।