‘एकला चलो रे’…विश्व भारती में मोदी ने सुनाया गुरुदेव का मंत्र

कोलकाता. ऑनलाइन टीम : शांति निकेतन स्थित विश्व भारती विश्वविद्यालय के 100 साल पूरे होने पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संबोधित किया। पीएम मोदी वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए कार्यक्रम में शामिल हुए थे। इस मौके पर पश्चिम बंगाल राज्यपाल जगदीप धनखड़ और केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल भी मौजूद रहे।

बता दें कि 1921 में विश्व भारती यूनिवर्सिटी की स्थापना गुरुदेव रविंद्रनाथ टैगोर ने की थी। यह देश की सबसे पुरानी सेंट्रल यूनिवर्सिटी है। इसे मई 1951 में केंद्रीय विश्वविद्यालय और राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा मिला था। मोदी ने कहा, ‘वर्ष 2022 में देश की स्वतंत्रता के 75 वर्ष पूरे हो जाएंगे।  27 साल बाद भारत की आजादी को 100 साल हो जाएंगे। हमें नए लक्ष्य गढ़ने होंगे, नई उर्जा जुटानी होगी। इस लक्ष्य में हमारा मार्गदर्शन गुरुदेव की ही बातें करेंगी।

पीएम मोदी ने कहा, ‘गुरुदेव का सबसे प्रेरणादायी मंत्र तो याद ही है। जोदि तोर दक शुने केऊ ना ऐसे तबे एकला चलो रे यानी कोई साथ न आए, अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अगर अकेले चलना पड़े तो चलिए। वेद से विवेकानंद तक भारत के चिंतन की धारा गुरुदेव के राष्ट्रवाद के चिंतन में भी मुखर थी। और ये धारा अंतर्मुखी नहीं थी। वो भारत को विश्व के अन्य देशों से अलग रखने वाली नहीं थी।’

इस दौरान पीएम मोदी ने गुरुदेव के विजन को आत्मनिर्भर भारत का सार बताया। इसके साथ ही उन्होंने गुरुदेव और गुजरात का कनेक्शन भी बताया। कहा-गुरुदेव ने  कहा था, राष्ट्र का निर्माण एक तरह से अपनी आत्मा की प्राप्ति का विस्तार है। जब आपने विचारों से अपने कार्यों से, अपने कर्तव्यों के निवर्हन से देश का निर्माण करते हैं तो आपको देश की आत्मा से ही अपनी आत्मा नजर आने लगती है। विश्व भारती के लिए गुरुदेव का विजन आत्मनिर्भर भारत का भी सार है। आत्मनिर्भर भारत अभियान भी विश्व कल्याण के लिए भारत के कल्याण का मार्ग है। ये अभियान, भारत को सशक्त करने का अभियान है, भारत की समृद्धि से विश्व में समृद्धि लाने का अभियान है।’

पीएम मोदी ने कहा, ‘भारत के आत्मसम्मान की रक्षा के लिए बंगाल की पीढ़ियों ने खुद को खपा दिया था। खुदीराम बोस सिर्फ 18 वर्ष की आयु में फांसी चढ़ गए। प्रफुल्ल चाकी 19 वर्ष की उम्र में शहीद हो गए। बीना दास, जिन्होंने बंगाल की अग्नि कन्या के रूप में जाना जाता है। सिर्फ 21 साल की उम्र में जेल भेज दी गई थीं। ऐसे अनगिनत लोग हैं जिनके नाम इतिहास में भी दर्ज नहीं हो पाए। इन सभी ने देश के आत्मसम्मान के लिए मृत्यु को गले लगा लिया।’