नई दिल्ली : समाचार ऑनलाईन – यूपीएससी में 26वी रैंक हाशिल करके प्रशासनिक अधिकारी बने हिमांशु नागपाल की कहानी ऐसी है जो हर किसी के लिए प्रेरणादायक साबित हो सकती है । हिमांशु ने कैसे अपने पिता और जवान भाई की मौत के बावजूद वह टुटा नहीं बल्कि हौशले के साथ अपनी तैयारी करता रहा । हरियाणा के एक छोटे से गांव के इस युवक ने अपने लिए जो रास्ता चुना था उस पर बढ़ता रहा. अपने चाचा से मिले हौसले से पहले ही प्रयास में उन्होंने आईएएस में 26वा स्थान हाशिल कर सबको चौका दिया।
पिता की मौत के बाद सफर पूरा किया
हिमांशु नएक इंटरव्यू में बताया कि कैसे उनकी पिता दिल्ली हंसराज कॉलेज में एडमिशन कराने आये थे. वहां के हॉस्टल बोर्ड में नाम देखकर कहा था कि हिमांशु एक दिन मैं तुम्हरा नाम यहां देखना चाहता हूं. लेकिन समय को कुछ और ही मंजूर था. उसी दिन घर लौटते वक़्त पिता की मौत हो गई.
पिता का जाना मेरे लिए बड़ा चैलेंज था
उन्होंने कहा कि पिता का मेरी लाइफ से जाना मेरे लिए बड़ा चैलेंज था। कॉलेज के फ्रेंड्स और टीचर्स ने मुझे बुलाकर समझाया कि तुम्हारे लिए मेहनत बहुत जरुरी है. आपको अपने अंदर ज्यादा कॉन्फिडेंस लाना होगा।
कोई गांव का व्यक्ति न कह दे
हिमांशु बताते है कि मैं हरियाणा के एक गांव भूना में पैदा हुआ. गांव से ही उन्होंने पांचवी तक की शिक्षा हिंदी मीडियम में ली. उन्हें इंग्लिश का जरा भी ज्ञान नहीं था । फिर हांशी शहर से 12वी तक की पढाई की. गांव से कॉलेज आया तो कई तरह की गलतफहमी थीक्यू\`\`। मुझे अच्छे से इंग्लिश का उच्चारण नहीं आता था । कोई बात बोलने से भी डरता था कि कोई गांव का लड़का न कह दे।
ऐसा रहा सफर
उन्होंने बताया कि दो साल अपने कैंपस में सीखा कि क्यू\सिविल सर्वेंट कैसे बनते है. कई बार खुद पर शर्म भी आती थी। उन्होंने बताया कि जब मैंने क्लास में पूछ लिया कि सर एमपी और एमअलए में क्या फर्क है तो सभी हंसने लगे। दो साल में मुझे लगने लगा कि मैं वह हिमांशु है जो गांव से आया था।
मुझे लगा था पढाई छोड़नी पड़ेगी
उन्होंने बताया कि इसी बीच अचानक से मेरे भाई की मौत हो गई। उस वक़्त लगा जैसे मैं खत्म हो गया हूं । मैंने सोच लिया था सायद अब घर लौटना पड़ेगा। मेरी पढाई छूट जाएगी।
चाचा बने सहारा
उस वक़्त मेरे चाचा पंकज नागपाल ने मुझे सहारा दिया। हिमांशु ने अपने फेसबुक पोस्ट पर उनके साथ का फोटो शेयर करते हुए लिखा है कि कौन कहता है कि जो बच्चे को जन्म देता है सिर्फ वही पिता होता है । मेरे चाचा मेरे पिता से बढ़कर है।