फिनोलेक्स केबल्स की मालिकाना हक को लेकर पारिवारिक विवाद और गहराया 

पुणे : समाचार ऑनलाईन – 15 हजार करोड़ रुपए के टर्नओवर वाली फिनोलेक्स केबल्स कंपनी की मालकियत को लेकर फिनोलेक्स परिवार में विवाद गहरा गया है। इसमें प्रकाश छाब्रिया और दीपक छाब्रिया भाइयों ने फिर से एक-दूसरे पर आरोप लगाए हैं। कंपनी पर कब्जा जमाने प्रकाश छाब्रिया द्वारा ऑरबिट इलेक्ट्रिकल्स के डायरेक्टर्स बोर्ड की बैैठक में बोगस दस्तावेज पेश करने का उन पर आरोप लगाया है। इसके जवाब में ऑरबिट इलेक्ट्रिकल्स ने भी दीपक छाब्रिया पर आरोप लगाया कि उनके आरोपों के कारण कंपनी के प्रदर्शन पर दुष्प्रभाव पड़ रहा है।

दीपक छाब्रिया फिनोलेक्स केबल्स के कार्यकारी अध्यक्ष पद पर कार्यरत हैं। गत साल 25 सितंबर को कंपनी की वार्षिक बैठक में उन्होंने इस पद पर खुद का दोबारा चयन करवाया था। इसी बात को लेकर दोनों भाइयों में विवाद शुरू हो गया। प्रल्हाद छाब्रिया ने फिनोलेक्स ग्रुप की स्थापना की थी। फिनोलेक्स केबल्स की प्रमोटर कंपनी ऑरबिट इलेक्ट्रिकल्स के सर्वाधिक 78% शेयर्स प्रकाश छाब्रिया के पास हैं। फिर भी दीपक छाब्रिया फिनोलेक्स कंपनी के कार्यकारी अध्यक्ष बने। प्रकाश छाब्रिया ने इसके खिलाफ मुंबई हाईकोर्ट में याचिका दायर की। इसके बाद फिनोलेक्स केबल्स पर कब्जा जमाने के लिए प्रकाश छाब्रिया ने ऑरबिट के डायरेक्टर्स बोर्ड की बैठक में पिता प्रल्हाद के मृत्यु के बाद उनके शेयर्स अपने नाम किए जाने का गिफ्ट लेटर पेश किया था, लेकिन गिफ्ट लेटर पर हस्ताक्षर, रजिस्ट्रेशन और स्टैम्प ड्यूटी को लेकर फिनोलेक्स केबल्स ने शंकाएं उपस्थित की और शेयर्स हस्तांतरण गलत होने का आरोप लगाया, लेकिन ऑरबिट ने बुधवार को स्टॉक एक्सचेंज में दस्तावेज पेश करते समय यह आरोप खारिज कर दिया था।

ऑरबिट ने कहा कि फिनोलेक्स के आरोप न्यायालयीन प्रक्रिया में मामले से संबंधित हैं, इसलिए ये आरोप कंपनी और शेयर होल्डर्स के हित में नहीं हैं। अब दीपक छाब्रिया और उनके पिता किशन छाब्रिया ने ऑरबिट द्वारा पेश किए गए गिफ्ट लेटर व डायरेक्टर्स बोर्ड के फैसले को पुणे सिविल कोर्ट में चुनौजी दी है। वहीं ऑरबिट ने कहा है कि कोर्ट में पेश किए गए दस्तावेजों पर विचार करके कोर्ट निर्णय लेगा। दीपक छाब्रिया ऑरबिट के अनाधिकृत प्रतिनिधि हैं और उन्होंने फिनोलेक्स केबल्स के कार्यकारी अध्यक्ष पद पर खुद को नियुक्त करवाने हेतु मतदान किया। यह ऑरबिट और बोर्ड के प्रस्ताव के खिलाफ है। ऐसा प्रकाश छाब्रिया ने स्पष्ट किया है।