रत्नागिरी । समाचार ऑनलाइन
महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले के गणपतीपुले गांव में गणपति का एक प्रसिद्ध मंदिर है। जहां पर हज़ारों के संख्या में गणेश भक्त आते है। वैसे तो गणेशोत्सव पूरे देश में बड़े ही धूमधाम से मनाया जाता है, लेकिन अगर बात करे महाराष्ट्र की तो यहाँ गणेशोत्सव कुछ अलग ही अंदाज में मनाया जाता है। यहाँ घर-घर गणेश भगवान का स्थापना किया जाता है। पुणे सहित महाराष्ट्र के कई शहरों में बड़े-बड़े पंडाल बनाकर गणेशोत्सव मनाया जाता है।
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इन सब के बावजूद भी रत्नागिरी जिले के गणपतीपुले गांव में पिछले 500 साल से शुरू “पांच गांव एक गणपति” की प्रथा आज तक शुरू है। गणपतीपुले, मालगुंड, वरवडे, नेवरे, वरवडे यह पांच गांव है। जहाँ पर लोग अपने घर गणपति नहीं लाते, उनका मानना है कि, गांव में गणपति आने का मतलब घर में गणपति बैठना है। इन पांच गावों के लोग हज़ारों के संख्या में एक साथ इकट्ठा होते है, साथ में त्यौहार मनाते। सभी लोग मंदिर में एक साथ इकट्ठा होते है और बड़े ही उत्साह के साथ गणपति का त्यौहार मनाते है।
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यहाँ गांव में पांच दिन गणपति बैठते है और छठे दिन विसर्जन कर दिया जाता है। यह 500 साल पहले शुरू की गयी एक प्रथा है। जो आज तक चल रही है। पांच दिन पूरे गांव परिसर में धूम मचा रहता है। आज के समय को देखते हुए ये प्रथा बहुत फायदे जनक साबित हो रहा है। आज शहर सहित पूरा देश प्रदुषण से जूझ रहा है और “पांच गांव एक गणपति” की प्रथा ध्वनि, जल जैसे कई प्रदुषण को रोकती है।