पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का निधन

कोलकाता/समाचार ऑनलाइन

पूर्व लोकसभा अध्यक्ष सोमनाथ चटर्जी का 89 साल की उम्र में सोमवार को कोलकाता के निजी अस्पताल में निधन हो गया। उन्हें रविवार को दिल का दौरा पड़ा था, जिसके बाद उन्हें कोलकाता के एक निजी अस्पताल में वेंटिलेटर पर रखा गया था। सोमवार सुबह 8.15 बजे सोमनाथ चटर्जी ने इस दुनिया को अलविदा कह दिया। वो किडनी की समस्या से भी जूझ रहे थे। चटर्जी को जून में भी स्ट्रोक आया था और वो एक महीने तक अस्पताल में भर्ती रहे थे। किसी ज़माने में सोमनाथ चटर्जी सीपीएम के दिग्गज नेता थे, लेकिन बाद में उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था।

सोमनाथ चटर्जी जाने-माने क़ानूनविद् भी थे और वह सबसे लंबे समय तक सांसद रहे। 1971 से 2009 तक सोमनाथ चटर्जी लोकसभा सांसद चुने गए। इस दौरान जाधवपुर लोकसभा क्षेत्र से 1984 में केवल एक बार उन्हें ममता बनर्जी से हार का सामना करना पड़ा था। चटर्जी 1968 में सीपीआई (एम) में शामिल हुए और पार्टी से निकाले जाने तक उसका हिस्सा रहे। चटर्जी एक ऐसे नेता थे जो केवल वही करते थे, जो उन्हें ठीक लगता था। यूपीए सरकार के पहले कार्यकाल के दौरान अमेरिका के साथ परमाणु समझौते को लेकर पार्टी ने उन्हें लोकसभा अध्यक्ष पद से इस्तीफ़ा देने के लिए कहा था, लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया। इस फैसले के बाद से ही पार्टी में उन्हें बाहर करने को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई थीं।

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पिता की सीट लड़ा था चुनाव

सोमनाथ चटर्जी 10 बार लोकसभा सांसद चुने गए। उनका जन्म 25 जुलाई, 1929 को हुआ था। चटर्जी के पिता एनसी चटर्जी हिन्दू महासभा से जुड़े थे। सोमनाथ चटर्जी ने यूके के मिडल टेंपल से बैरिस्टर की पढ़ाई की, उन्होंने पहली बार 1971 में लोकसभा चुनाव लड़ा था।

दरअसल, उन्होंने अपने पिता की मौत से ख़ाली हुई सीट पर चुनाव लड़ा था। पश्चिम बंगाल के अलग-अलग लोकसभा क्षेत्रों से वह मैदान में उतरे। इनमें बर्दवान, बोलपुर और जाधवपुर शामिल हैं। ममता बनर्जी ने 1984 में कांग्रेस उम्मीदवार के तौर पर सोमनाथ चटर्जी को हराया था।

स्पीकरों को दिया था सुझाव

2008 में माकपा से निष्‍कासित किए जाने की घटना को उन्‍होंने अपनी जिंदगी का सबसे बुरा दिन बताया था। साथ ही उन्होंने सुझाव दिया था कि भविष्य में लोकसभा स्‍पीकरों को अपने दलों से इस्तीफा दे देना चाहिए ताकि वह गैर-पक्षपातपूर्ण छवि बनाए रखने में कामयाब हो सकें। चटर्जी ने राजनीति में आने से पहले कलकत्‍ता हाईकोर्ट में वकालत भी की थी।