जेल में रहते गैंगस्टर अरुण गवली ने इस परीक्षा में किया टॉप!

नागपुर। समाचार ऑनलाइन
कभी मुंबई, पुणे, ठाणे में दहशत और दबदबा बनाये रखने वाले अंडरवर्ल्ड डॉन अरुण गवली उर्फ़ डैडी अब ‘गांधीवादी’ बन चुका है। नागपुर जेल में सजा काट रहे डैडी गाँधी विचारों पर आधारित परीक्षा में टॉपर साबित हुआ है। अब देखना यह है कि क्या यह गैंगस्टर बापू यानि महात्मा गाँधी के विचारों पर परोक्ष अमलबाजी कर सकेगा? क्या उनके विचारों को अपने आचरण में ला सकेगा? यह तो आने वाला वक्त ही तय कर सकेगा। मगर डैडी के टॉपर साबित होने कि तुलना अभिनेता संजय दत्त द्वारा अभिनीत ‘लगे रहो मुन्नाभाई’ फिल्म से कि जा रही है। यह वही फिल्म है जिसने न केवल फिल्म बल्कि परोक्ष जीवन में भी संजय दत्त की छवि बदलकर रख दी।
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अब तक कई आपराधिक मामलों में निर्दोष साबित होने के बाद डैडी लगातार अपराध जगत को अलविदा कर चुकने का दावा करता रहा। इसी दावे के साथ उसने अपनी अलग सियासी पार्टी बनाई। अखिल भारतीय सेना की स्थापना के बाद वह एक बार विधायक भी चुना गया। हांलाकि बाद में एक हत्या के मामले में उसे सजा सुनाई गई और उसकी रवानगी जेल में की गई। सुरक्षितता के लिहाज से उसे नागपुर की जेल में रखा गया है। जेल में कैदियों में बदलाव लाने के लिहाज से विभिन्न उपक्रमों में शुमार गाँधी विचारों पर आधारित परीक्षा में शामिल होने को लेकर दूसरे कैदियों की भांति डैडी को भी प्रोत्साहित किया गया। उसने न केवल इस परीक्षा में हिस्सा लिया बल्कि उसमे अव्वल भी आया।
हर साल की तरह इस साल भी नागपुर जेल में यह परीक्षा ली गई जिसमे 160 कैदियों ने हिस्सा लिया। जेल की अंडा सेल में कैद अरुण गवली उर्फ़ डैडी भी उनमे शामिल रहा। उसने उसे मुहैया कराये गए साहित्य से गाँधी विचारों को आत्मसात किया और इस परीक्षा में टॉप किया। महात्मा गांधी के विचार अहिंसा पर आधारित हैं। जबकि डैडी का पूरा जीवन हिंसा में बीता। बापू के अहिंसावादी विचारों से अंग्रेज भी घबराते थे, जबकि डैडी के हिंसाचार का पूरी मुंबई में खौफ था। ऐसे में परीक्षा के माध्यम से क्यों न हो एक अंडरवर्ल्ड डॉन गांधी विचारों के करीब तो आया। हांलाकि परीक्षा पास करना और परोक्ष में गाँधी विचारों को आचरण में लाना अलग बात है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि गांधी विचार अभिनेता संजय दत्त की भांति डैडी के जीवन में भी बदलाव ला सकेंगे या नहीं?