गौरी लंकेश हत्या के आरोपियों को हिरासत में मिल रही यातना

बेंगलूरु। समाचार एजेंसी

कर्नाटक हाई कोर्ट ने वरिष्ठ पत्रकार गौरी लंकेश की हत्या के मामले में गिरफ्तार चार आरोपियों को पुलिस की हिरासत में यातना देने और न्यायिक प्रक्रिया का पालन नहीं करने के आरोपों को कर्नाटक उच्च न्यायालय ने गंभीरता से लिया है। आरोपियों के वकील की शिकायत पर उच्च न्यायालय ने दो मजिस्ट्रेट अदालतों को रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं।

गौरी लंकेश की हत्या के मामले में कर्नाटक एसआईटी ने अमोल काले, सुजीत कुमार, अमित देगवेकर और मनोहर एड़वे को गिरफ्तार किया है, जोकि फिलहाल पुलिस की कस्टडी में है। उनके वकील एनपी अमृतेश ने उच्च न्यायालय में एक हलफनामा दाखिल कर शिकायत की कि पुलिस अधिकारियों ने अमोल काले के साथ हिरासत में जमकर मारपीट की। उसे चेहरे पर घूंसे और चांटे मारे गए। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि दोनों मजिस्ट्रेट भी पुलिस हिरासत से संबंधित सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थापित प्रक्रिया का पालन करने में असफल रहे।

आरोपियों के वकील ने आरोप लगाया कि, 14 जून को हिरासत में यातना देने की जानकारी अदालत में देने के बावजूद मजिस्ट्रेट ने मेडिकल जांच का आदेश नहीं दिया। इसकी बजाय उन्होंने सिर्फ आरोपी काले के शरीर पर लगे चोट के निशानों को ही दर्ज किया। 31 मई को भी एक अन्य आरोपी को हिरासत में यातना दिए जाने की इसी तरह की शिकायत तृतीय अतिरिक्त मुख्य मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट के समक्ष की गई थी, लेकिन उसकी भी अनदेखी की गई थी।

इसके चलते उन्होंने उच्च न्यायालय से आरोपियों की मेडिकल जांच और पुलिस द्वारा उनकी गैरकानूनी हिरासत व यातना की जांच के अधिकारियों को निर्देश देने की मांग की।

इतना ही नहीं आरोपी को 25-25 लाख रुपए का हर्जाना देने और मजिस्ट्रेट को उनके बयान कैमरे के सामने बंद कमरे में दर्ज करने का आदेश देने की भी मांग की गई है। इस मामले में उच्च न्यायालय ने 12 जून को कर्नाटक सरकार, राज्य पुलिस बल के प्रमुख को नोटिस जारी किया था। अदालत ने पुलिस को निर्देश भी दिया था कि आरोपियों के साथ गलत व्यवहार नहीं किया जाए। मजिस्ट्रेट अदालतों को रिपोर्ट पेश करने के निर्देश दिए हैं। इसके अनुसार आदेश मिलने की तिथि से 10 दिन के भीतर उन्हें अपनी रिपोर्ट दाखिल करनी होगी।