गिरीश बापट ने लगाई लंबी छलांग, संसद की एस्टीमेट कमेटी के अध्यक्ष बनें

पुणे : समाचार ऑनलाईन – संसद की एस्टीमेट कमेटी या प्राक्कलन समिति के अध्यक्ष पद पर सांसद गिरीश बापट की शुक्रवार को नियुक्ति की गई। लोकसभा अध्यक्ष ओमप्रकाश बिड़ला ने उन्हें इस पद पर नियुक्त किया। बजट एस्टीमेट संबंधी इस समिति में विनायक राउत व सुनील तटकरे सहित लोकसभा के 30 सदस्य रहेंगे।

उप-समितियां व गुट स्थापित किये जायेंगे

24 जुलाई 2019 से 30 अप्रैल 2020 तक की अवधि के लिए गठित इस समिति में विभिन्न विषयों का अध्ययन करने हेतु समिति के सदस्यों के आधार पर विभिन्न उप-समितियां व गुट स्थापित किये जायेंगे।
इस बार समिति में धर्मेंद्रकुमार कश्यप, मोहनभाई कुंडारिया, दयानिधि मारण, के। मुरलीधरन, एस।एस। पलानिमणिक्कम, कमलेश पासवान, के।सी। पटेल, राजवर्धन सिंह राठोड़, विनायक राउत, अशोककुमार रावत, मागुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी, राजीव प्रताप रूडी, फ्रांसिस्को सरडिन्हा, जुगल किशोर शर्मा, धरमवीर सिंह, संगीता कुमारी सिंह देव, केसीनेनी श्रीनिवास, सुनील तटकरे, प्रवेश साहिब सिंह वर्मा सदस्य रहेंगे।

इस समिति के समक्ष आने वाले विषयों का गहन परीक्षण या अध्ययन करने के लिए आवश्यकता के अनुसार लोकसभा अध्यक्ष की अनुमति से समिति के सभी सदस्य या चुनिंदा सदस्य प्रत्यक्ष रूप से प्रोजेक्ट या संबंधित संस्था की विजिट कर सकते हैं। इस विजिट से पहले संबंधित संस्था की वर्क रिपोर्ट समिति द्वारा मंगाई जाती है और विजिट के दौरान सिर्फ निरीक्षण किया जाता है, लेकिन विजिट के समय किसी भी प्रकार की बात दर्ज नहीं की जाती। संबंधित स्थान की विजिट के बाद संबंधित मंत्रालय या विभागों के प्रतिनिधियों के साथ समिति चर्चा करती है। इससे संबंधित पूरी जानकारी गोपनीय रखी जाती है और मीडिया को भी जानकारी नहीं दी जाती।

संसद में अनौपचारिक बैठक आयोजित की जाती है

अंतिम चरण में संबंधित विषयों के संबंध में संसद में अनौपचारिक बैठक आयोजित की जाती है, जिसमें संबंधित मंत्रालय, अधिकारी व प्रत्यक्षदर्शी आदि में चर्चा होती है। इसके बाद समिति के निरीक्षण व सुझावों के समावेश वाली अंतिम रिपोर्ट लोकसभा में रखी जाती है।

इस समिति द्वारा लोकसभा में पेश रिपोर्ट के आधार पर संबंधित मंत्रालय या विभाग को 6 महीने के भीतर कार्यवाही करना अनिवार्य होता है। रिपोर्ट पर जवाब का समिति द्वारा परीक्षण किया जाता है और उसके बाद कृति-प्रारूप लोकसभा में पेश किया जाता है। इसके सुझाव सदन के कामकाज में दर्ज किये जाते हैं।

यह समिति वित्त मंत्री द्वारा बजट पेश किये जाते समय उसमें शामिल धन के व्यय के संबंध में आलोचना करने, सरकारी खर्च में कमी करने के सुझाव देकर सरकारी नीति व प्रशासनिक व्यवस्था में कार्यक्षमता बढ़ाने हेतु गाइडलाइन देने जैसे कार्य करती है। यह समिति इस बात का सत्यापन करती है कि सरकारी नीति व योजना के अनुसार व बजट में दर्ज किये मुताबिक निधि का आवंटन हुआ है या नहीं। समिति की सिफारिशें स्वीकारना लोकसभा के लिए भले ही अनिवार्य न हो, इसके बावजूद समिति के सुझाव व सिफारिशें मार्गदर्शक होती हैं। स्थापना के समय से ही समिति ने अपनी उपयोगिता साबित की है। इससे पहले मुरली मनोहर जोशी जैसे वरिष्ठ नेता ने इस समिति में काम किया है।