सोलर सिंचाई पंप पर सरकार, किसानो को दे रही है छूट 

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन 
डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों से  किसान बहुत ज्यादा प्रभावित हुए है, क्योंकि खेती में सिंचाई के लिए पंपिंग सेट चलाने से लेकर खेतों की जुताई (ट्रैक्टर से) तक में डीजल की खपत होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि डीजल की बढ़ती कीमतों से प्रति एकड़ खेती की कीमतों में एक हजार रुपये से अधिक की लागत बढ़ चुकी है, जिससे किसानों की मुश्किल और बढ़ जाएगी
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लेकिन एक संस्था का दावा है कि अगर किसान सिंचाई के लिए सोलर पंपों का इस्तेमाल करना शुरु कर दें तो इससे उनके घाटे की खेती फायदे में बदल जाएगी। सोलर पंप सूरज की गर्मी को सोलर पैनल के जरिए इनवर्टर को चार्ज कर देते हैं, जिनसे सोलर पंपों को चलाया जा सकता है। एक बार के निवेश के बाद लगभग पांच साल तक इसमें कोई लागत नहीं आती। इससे न तो डीजल का खर्च होता है, और न ही वायु प्रदूषण होता है।
जानकारी के अनुसार, भारत के किसान अभी कुल सिंचाई पंपों का महज एक फीसदी ही सोलर पंप का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि सरकार अगले पांच वर्षों के बीच 6 फीसदी करने के लक्ष्य के साथ आगे चल रही है। जानकारी के मुताबिक भारत में अभी तक (31 दिसंबर 2017) सिर्फ 14 हजार सोलर सिंचाई पंप लगाए जा सके हैं। जबकि इसी दौरान 1.90 करोड़ सिंचाई पंप बिजली से और नौ लाख सिंचाई पंप डीजल इंजनों से चलाए जाते हैं।
इसमें एक किसान के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि ज्यादातर सरकारें सोलर पंप लगाने पर भारी छूट भी दे रही हैं। हरियाणा सरकार 60 प्रतिशत तो बिहार सरकार सौ फीसदी छूट (कुछ शर्तों के साथ) दे रही है। इससे अगर धान की लागत कीमत में प्रति एकड़ सौ लीटर डीजल की खपत को आधार मानें तो किसान को प्रति एकड़ आज की तारीख में सात हजार रुपये से अधिक की बचत हो सकती है।
नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन
डीजल की लगातार बढ़ती कीमतों से  किसान बहुत ज्यादा प्रभावित हुए है, क्योंकि खेती में सिंचाई के लिए पंपिंग सेट चलाने से लेकर खेतों की जुताई (ट्रैक्टर से) तक में डीजल की खपत होती है। विशेषज्ञों का कहना है कि डीजल की बढ़ती कीमतों से प्रति एकड़ खेती की कीमतों में एक हजार रुपये से अधिक की लागत बढ़ चुकी है, जिससे किसानों की मुश्किल और बढ़ जाएगी
लेकिन एक संस्था का दावा है कि अगर किसान सिंचाई के लिए सोलर पंपों का इस्तेमाल करना शुरु कर दें तो इससे उनके घाटे की खेती फायदे में बदल जाएगी। सोलर पंप सूरज की गर्मी को सोलर पैनल के जरिए इनवर्टर को चार्ज कर देते हैं, जिनसे सोलर पंपों को चलाया जा सकता है। एक बार के निवेश के बाद लगभग पांच साल तक इसमें कोई लागत नहीं आती। इससे न तो डीजल का खर्च होता है, और न ही वायु प्रदूषण होता है।
जानकारी के अनुसार, भारत के किसान अभी कुल सिंचाई पंपों का महज एक फीसदी ही सोलर पंप का इस्तेमाल करते हैं। हालांकि सरकार अगले पांच वर्षों के बीच 6 फीसदी करने के लक्ष्य के साथ आगे चल रही है। जानकारी के मुताबिक भारत में अभी तक (31 दिसंबर 2017) सिर्फ 14 हजार सोलर सिंचाई पंप लगाए जा सके हैं। जबकि इसी दौरान 1.90 करोड़ सिंचाई पंप बिजली से और नौ लाख सिंचाई पंप डीजल इंजनों से चलाए जाते हैं।
इसमें एक किसान के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि ज्यादातर सरकारें सोलर पंप लगाने पर भारी छूट भी दे रही हैं। हरियाणा सरकार 60 प्रतिशत तो बिहार सरकार सौ फीसदी छूट (कुछ शर्तों के साथ) दे रही है। इससे अगर धान की लागत कीमत में प्रति एकड़ सौ लीटर डीजल की खपत को आधार मानें तो किसान को प्रति एकड़ आज की तारीख में सात हजार रुपये से अधिक की बचत हो सकती है।