एच1-बी वीजा नियम कड़े होने से कंपनियां अमेरिकी नागरिकों को दे रहीं प्रमुखता

वाशिंगटन। समाचार ऑनलाइन
ट्रम्प प्रशासन द्वारा एच1-बी वीजा नियम कड़े किए जाने के बाद अमेरिकी बिजनेस स्कूलों से ग्रेजुुुएट हुए अंतरराष्ट्रीय छात्रों के लिए अमेरिका में नौकरी की संभावनाएं काफी हद तक सीमित हो गई हैं। वाशिंगटन पोस्ट में छपी एक रिपोर्ट के मुताबिक, 25 मिलियन नौकरी विज्ञापनों का विश्लेषण करने के बाद पता चला कि कंपनियों की ओर से पहली छमाही में
अमेरिकी नागरिकता प्राप्त उम्मीदवारों को रोजगार देने की मांग में 19 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।
 
अंतरराष्ट्रीय कर्मचारियों की मांग में 55% की कमी
रिपोर्ट में आगे कहा गया कि 2018 में, केवल 47 प्रतिशत अमेरिकी कंपनियों ने अंतरराष्ट्रीय उम्मीदवारों को स्वीकार करने वाले पदों का विज्ञापन किया है, जो 2016 के मुकाबले लगभग 55 प्रतिशत कम है। यह सब ट्रम्प प्रशासन द्वारा एच1-बी वीजा पर शिकंजा कसने के चलते हो रहा है।
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बता दें कि एच 1-बी श्रेणी अमेरिकी कंपनियों को सैद्धांतिक या तकनीकी विशेषज्ञता की आवश्यकता वाले विशिष्ट व्यवसायों में गैर-आप्रवासियों को रोजगार देने की अनुमति देती है। यह तीन साल की अवधि के लिए मान्य है और इसे बढ़ाया जा सकता है।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए अमेरिका में प्रवेश लेने वाले अंतरराष्ट्रीय छात्रों कि संख्या में वृद्धि हुई है, लेकिन वर्क परमिट प्राप्त करने वाले छात्रों में काफी कमी आई है।
सितंबर 2017 को समाप्त हुए वित्तीय वर्ष में अनुमोदित एच 1-बी वीजा की संख्या 108101 थी जो पिछले वर्ष के 114503 के मुकाबले कम थी। मास्टर्स डिग्री धारकों के लिए, इसी अवधि में यह संख्या 52002 से घटकर 45405 हो गई।
एच 1-बी वीजा आवेदकों में सबसे ज्यादा संख्या भारतीयों की हैं। 2007 और 2017 के बीच, संयुक्त राज्य नागरिकता और आप्रवासन सेवा (यूएससीआईएस) को भारतीयों से 2.2 मिलियन याचिकाएं मिलीं। इसी अवधि में चीन 301000 एच 1-बी वीजा याचिकाओं के साथ दूसरे स्थान पर रहा।