नाग पंचमी के दिन कोई नाग की पूजा करता है तो कोई अपमान

पुणे | समाचार ऑनलाइन

अनामिका

नाग पंचमी पुरे भारत में बड़े ही धूम धाम से से मनाया जाता है। हर शहर का इस त्यौहार को मानाने का अपना अलग अंदाज होता है। इस साल नाग पंचमी और स्‍वतंत्रता दिवस एक ही दिन मनाया जाएगा। हिन्दू पंचांग के अनुसार सावन माह की शुक्ल पक्ष के पंचमी को नाग पंचमी के रूप में मनाया जाता है। पुराने दौर से चलती आ रही यह परंपरा में मंदिरों को सजाया जाता है और लोग मंदिर जा कर नाग देवता की पूजा करते है। मदिंर जा कर लोग सर्प देवता को दूध और जल चढ़ाते है।

कैसे मनाई जाती है महाराष्ट्र में नाग पंचमी-

आज के दिन पुणे में लोग मंदिर जा कर सर्प की पूजा करते है। साथ ही शहर के कुछ इलाको में लोग अपनी झोली में सर्प ले कर आते है और भीड़ इकठा कर बिन बजाते हुए सर्प का प्रदर्शन करते है।
सतारा जिले के म्हसवड गांव की रहने वाली अंकिता पोळ से बात चित पर उन्होंने बताया कि उनके गांव में यह त्योहार बड़े ही धूम घाम से मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि, नाग पंचमी के दिन उनके गांव में सभी लोग शर्प या नाग के मिट्टी के बनाए घरों की पुजा करते है और वहा दूध अर्पित करते है। उनके गांव में यह त्यौहार लड़कियों के लिए बहुत खाश माना जाता है। इस दिन यहां की लड़कियां हाथों में मेहंदी लगा कर, अच्छे से तैयार हो कर नदी किनारे पतंग बाजी के लिए जातीं है और विजेता को उपहार भी दी जाती है। इन सबके साथ ही हर घर में ढेर सारे विभिन प्रकार के पकवान बनाए जाते है जिसमे पूरणपोळी सबसे अहम होता है।
बीड़ जिले की वर्षा सावंत ने बताया की उनके जिले में भी सभी औरते और लड़कियां मंदिर में जा कर पूजा करतीं है। हर घर में झूले लगाए जाते है और लोगों का 5 बार झूला झूलना अनिवार्य है।

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सर्प से कमाई –

नाग पंचमी के दिन तो सभी लोग सर्प की पूजा करते है पर बाकि के पुरे साल इनका अनादर करते है। पिछले साल नाग पंचमी के कुछ दिन पहले 23 सर्प को बचाया गया था जहा सर्पों का प्रदर्शन किया जाता था, साथ ही सर्प को नुकसान भी पोहचाया जाता था। इन सर्पो को वन विभाग की मदद से बचाया गया और इन्हे बचाने के बाद वन विभाग ने सभी सर्प को कात्रज के स्नेक पार्क में भेज दिया और कहा गया था कि उनके ठीक हो जाने पर उन्हें जंगल वापस भेज दिया जाएगा।
कई लोग सर्प से अपना धंदा करते है और इस वजह से वे लोग सर्प को नुकसान भी पोहचते है। कई बार ऐसे लोग सर्प का मुंह सील देते है ताकि वो किसी को काट न सके और उनकी कमाई भी हो जाए। नाग पंचमी के दिन इन लोगो की अच्छी कमाई हो जाती है। यह सर्प ले कर जगह-जगह घूम सर्प का तमासा दिखाते है और कमाई करते है। इस वजह से कई बार यह लोग सर्प का विश भी निकाल देते है। तमासा दिखाने के बाद यह सबसे पैसे लेते है।

नाग पंचमी का इतिहास –

नाग पंचमी के पीछे बहुत से कथाएं है। एक कथा के मुताबिक इस दिन ब्रह्मा जी ने अपनी कृपा से शेषनाग को अलंकृत किया था। पृथ्वी का भार धारण करने के बाद लोगों ने नाग देवता की पूजा शुरू कर दी और तब से ले कर यह परंपरा अब तक चली आ रही है। पुरानी संस्कृति के हिसाब से नाग देवता पर दूध चढ़ाना होता है पर आज कल लोग सर्प को दूध पिलाने भी लगते है, जो सर्प के मौत का कारण बन जाता है। लोगों को यह समझने की जरवत है की श्रद्धा और अन्धविश्वास में बहुत फर्क है।