शिक्षा का उद्देश्य सभी के जीवन को बेहतर बनाने की भावना जगाना है : राष्ट्रपति 

नई दिल्ली। समाचार ऑनलाइन
स्वतंत्रा दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने देश को संबोधित किया देशवासियों को 72वें स्वतंत्रता दिवस की बधाई देते हुए उन्होंने देश की मौजूदा स्थिति पर अपने विचार साझा किए। राष्ट्रपति ने शिक्षा व्यवस्था पर कहा कि शिक्षा का उद्देश्य केवल डिग्री या डिप्लोमा प्राप्त कर लेना ही नहीं है, बल्कि सभी के जीवन को बेहतर बनाने की भावना को जगाना भी है। ऐसी भावना से ही संवेदनशीलता और बंधुता को बढ़ावा मिलता है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि देश एक निर्णायक दौर से गुजर रहा है, ऐसे में ध्यान भटकाने वाले मुद्दों में उलझने और निरर्थक विवादों में पड़ने की बजाए सभी को एकजुट होकर गरीबी, अशिक्षा और असमानता को दूर करने का प्रयास किया जाना चाहिए।
राष्ट्रपति ने कहा कि आजादी हमारे पूर्वजों और स्वाधीनता सेनानियों के वर्षों के त्याग और वीरता का परिणाम थी। इस संग्राम में देश के सभी क्षेत्रों, वर्गों और समुदायों के लोग शामिल थे। वे चाहते तो सुविधापूर्ण जीवन जी सकते थे, लेकिन देश के प्रति अपनी अटूट निष्ठा के कारण उन्होंने ऐसा नहीं किया। वे एक ऐसा स्वाधीन और प्रभुता-सम्पन्न भारत बनाना चाहते थे, जहां समाज में बराबरी और भाई-चारा हो। हम उनके योगदान को हमेशा याद करते हैं। हम भाग्यशाली हैं कि हमें महान देशभक्तों की विरासत मिली है। उन्होंने हमें एक आजाद भारत सौंपा है। साथ ही उन्होंने कुछ ऐसे काम भी सौंपे हैं, जिन्हें हम सब मिलकर पूरा करेंगे।
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किसानों की बात की
राष्ट्रपति ने कहा कि देश का विकास करने, तथा गरीबी और असमानता से मुक्ति प्राप्त करने के काम हम सबको करने हैं। हमारे किसान उन करोड़ों देशवासियों के लिए अन्‍न पैदा करते हैं, जिनसे वे कभी आमने-सामने मिले भी नहीं होते। वे देश के लिए खाद्य सुरक्षा और पौष्टिक आहार उपलब्ध कराके हमारी आजादी को शक्ति प्रदान करते हैं। जब हम उनके खेतों की पैदावार और उनकी आमदनी बढ़ाने के लिए आधुनिक टेक्नॉलॉजी और अन्य सुविधाएं उपलब्‍ध कराते हैं, तब हम अपने स्वाधीनता सेनानियों के सपनों का भारत बनाते हैं।
सेना के जवानों का भी जिक्र
देश के सेना के जवानों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे सैनिक, सरहदों पर, बर्फीले पहाड़ों पर, चिलचिलाती धूप में, सागर और आसमान में, पूरी बहादुरी और चौकसी के साथ, देश की सुरक्षा में समर्पित रहते हैं। वे बाहरी खतरों से सुरक्षा करके हमारी स्वाधीनता सुनिश्‍चित करते हैं।
महिलाओं को अपने ढंग से जीने की आजादी मिले
राष्ट्रपति ने अपने संबोधन के दौरान महिलाओं की बात भी की। उन्होंने कहा कि महिलाओं की हमारे समाज में एक विशेष भूमिका है। कई मायनों में महिलाओं की आजादी को व्यापक बनाने में ही देश की आजादी की सार्थकता है। उन्हें अपने ढंग से जीने की तथा अपनी क्षमताओं का पूरा उपयोग करने का सुरक्षित वातावरण तथा अवसर मिलना ही चाहिए।
गांधीजी के रास्तों पर चलने का संकल्प लें
राष्ट्रपति ने कहा कि इस बार स्वाधीनता दिवस के साथ एक खास बात जुड़ी हुई है। 2 अक्टूबर से, महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के समारोह शुरू हो जाएंगे। गांधीजी ने, केवल हमारे स्वाधीनता संग्राम का नेतृत्व ही नहीं किया था, बल्कि वह हमारे नैतिक पथ-प्रदर्शक भी थे और सदैव रहेंगे। उन्होंने कहा, इस स्वाधीनता दिवस के अवसर पर हम सब भारतवासी अपने दिन-प्रतिदिन के आचरण में गांधीजी द्वारा सुझाए गए रास्तों पर चलने का संकल्प लें। हमारी स्वाधीनता का उत्सव मनाने का इससे बेहतर कोई और तरीका नहीं हो सकता।