मतिमंद बच्चों को आसरा देने के नाम पर बच्चा का हाल हो रहा बेहाल

समाचार ऑनलाइन
गुणवंती परस्ते

पुणे के धनकवडी इलाके में मतिमंद बच्चों के निवासी विद्यालय में बच्चों के साथ मारपीट और बच्चों के बुरा हाल होने की घटना उजागर हुई है। माता पिता अपनी मजबूरी के चलते अपने बच्चों को अक्षरस्पर्श निवासी मतिमंद विद्यालय (कार्यशाला) में देखरेख के लिए रखते हैं, पर बच्चों को समय पर खाना नहीं देना, बच्चों के साथ मारपीट किए जाने का आरोप लगाया गया है। इस मामले में पुणे समाचार की प्रतिनिधी ने इस विद्यालय में जाकर स्टिंग ऑपरेशन किया तो वहां बच्चों की हालत बद से बदत्तर नजर आयी। जब इस बारे में समाज कल्याण विभाग में पूछताछ की गई तो यह संस्था शासन मान्य नहीं, इस बात का खुलासा भी किया गया। मतिमंद बच्चों के विद्यालय के नाम पर दानकर्ताओं से मोटी रकम वसूल करके बच्चों को सुविधाओं से वंचित रखे जाने की बात भी सामने आयी है।

डेढ़ महीने पर 16 साल की मतिमंद लड़की को विद्यालय में देखरेख के लिए रखा गया था, लेकिन डेढ़ महीने बाद जब बच्ची के भाई बहन वहां गए तो बच्ची की हालत इतनी खराब पायी गई कि उसे ससून हॉस्पिटल में भरती करने की नौबत आ गई। बच्ची आज जिंदगी और मौत की लड़ाई लड़ रही है। बच्ची के अभिभावकों का कहना है कि बच्ची के शरीर पर मारपीट के गहरे निशान देखे गए हैं और बच्ची को एक महीने तक फिट की दवाई नहीं दिए जाने की वजह से बच्ची की हालत काफी खराब हो गई है।

विद्यालय की हालत इतनी खराब है कि स्वच्छता के नाम पर वहां दुर्गंध ही दुर्गंध हैं। आम इंसान इस दुर्गंध में बेहोश या चक्कर खाकर गिरने जैसी अवस्था है। बच्चों को इस विद्यालय में दो कमरों में बंद रखा जाता है। बाकी बच्चों के अभिभावकों से इस बारे में जब बात की गई तो उन्होंने इस बारे में कुछ भी कहने से कतरा रहे थे, अपना नाम नहीं बताने की शर्त पर उन्होंने बताया डेढ़ महीने पहले हमारी बच्ची को विद्यालय में भरती करवाया था, भरती करवाने की रसीद भी संस्था द्वारा नहीं दी गई। बच्चों को काफी खराब क् वालिटी का भोजन दिया जाता है, बच्चों के लिए बाहर से कोई व्यक्ति खाने का सामान दिया जाता है तो बच्चों को वह खाने का सामान नहीं दिया जाता है। ब्लकि वह सामान संस्था चालक अपने घर ले जाते हैं। बच्चों को दान में दिए गए कंबल भी बच्चों को दिए नहीं जाते हैं। बच्चों को जमीन पर ही दिन भर बैठाया जाता है। बच्चों का डाइट चार्ट भी किसी तरह से नहीं होता है। बच्चों को नाममात्र भोजन दिया जाता है। कोई बच्चा अगर गंदगी करता है तो उसकी पिटाई की जाती है।

बच्ची को जब ससून हॉस्पिटल में एडमिट किया गया तो बच्ची के साथ मारपीट होने की शिकायत अभिभावक सहकारनगर पुलिस स्टेशन में करने चाहते थे। पुलिस का कहना है कि जब तब हॉस्पिटल या समाज कल्याण विभाग हमें किसी तरह का पत्र नहीं देती, हम कार्रवाई नहीं कर सकते हैं। हॉस्पिटल का कहना है कि जब तक पुलिस इस बारे में पूछताछ करने नहीं आती तब तक हम बच्ची का मेडिकल रिपोर्ट नहीं दे सकते। समाज कल्याण विभाग का कहना है कि मारपीट के मामले में पुलिस मामला दर्ज कर सकती है। इस मामले में सीधे सीधे एक दूसरे के ऊपर जिम्मेदारी का थोपी जा रही है। समाज कल्याण विभाग द्वारा संस्था के जांच के आदेश दिए गए हैं। पर यह जांच कहीं सरकारी साबित न हो क्योंकि संस्था के विद्यार्थियों के जिंदगी का सवाल है। प्रशासन की लापरवाही बच्चों की जिंदगी को दांव पर लगा रही है।