भारतीय वायुसेना की बढ़ेगी ताकत, इसरो आज लांच करेगा जीसैट-7ए उपग्रह 

नई दिल्ली, 19 दिसंबर : समाचार ऑनलाईन – भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने मंगलवार को अपने संचार उपग्रह जीसैट-7ए को लांच करने का काउंटडाउन शुरू कर दिया है। श्रीहरिकोटा स्थित सतीश धवन स्पेस सेंटर से मंगलवार दोपहर 2 बजकर 10 मिनट पर इसकी उल्टी गिनती शुरू हो गई। बुधवार को शाम 4 बजकर 10 मिनट पर जीएसएलवी-एफ11 रॉकेट को लेकर लांच किया जायेगा। इसरो द्वारा निर्मित जीसैट-7ए का वजन 2,250 किलोग्राम है और यह मिशन आठ साल का होगा। इसरो ने मंगलवार को कहा कि मिशन रेडिनेस रिव्यू कमेटी और लांच ऑथराइजेशन बोर्ड ने काउंटडाउन शुरू का दिया है।
जीएसएलवी-एफ11की यह 13वीं उड़ान होगी और सातवीं बार यह स्वदेसी क्रायोनिक इंजन के साथ लांच होगा। यह कू-बैंड में संचार की सुविधा उपलब्ध करावाएगा। इसरो का यह 39वां संचार उपग्रह होगा और इसे खासकर भारतीय वायुसेना को बेहतर संचार सेवा देने के उदेश्य से लांच किया रहा है।

जीसैट-7ए  की खुबियां 
-जीसैट-7ए वायुसेना के एयरबेस को इंटेरलिंक करने के अलावा ड्रोन ऑपरेशंस में भी मदद करेगा। जानकारी के लिए बता दे भारत अभी अमेरिका में बने हुए प्रीडेटर-बी या सी गार्डियन ड्रोन को हासिल करने की कोशिश कर रहा है। सैटेलाइट कंट्रोल के जरिये ये ड्रोन अधिक ऊंचाई पर दुश्मन पर हमला करने की क्षमता रखता है।
-500-800 करोड़ रुपऐ की लगात में तैयार हुई इस सैटेलाइटमें 4 सोलर पैनल लगाए गए है  जिनकी मदद से 3.3 किलो वाट बिजली पैदा की जा सकती है।
-इसके साथ ही इसमें कक्षा में आगे-पीछे जाने या ऊपर जाने के लिए बाई-प्रोपेलेंट का केमिकल प्रोपल्शन सिस्टम भी दिया गया है।  इससे पहले इसरो ने जीसैट-7ए सैटेलाइट को लांच किया था। इसे रुकमिणी के नाम से जाना जाता है।
-29 सितंबर 2013 में लांच हुई यह सैटेलाइट नेवी के युद्धक जहाजों, पनडुब्बियों और वायुयानों को संचार की सुविधाएं प्रदान करती है। आने वाले समय में वायुसेना को  जीसैट-7एसी मिलने के भी आसार है।

क्यों जरुरी है सैटेलाइट ?

स वक्त धरती के चारों ओर दुनियाभर की लगभग 320 मिलीटरी सैटेलाइट चक्कर काट रही है। जिनमे से अधिकतर अमेरिका की है इसके बाद इस मामले में रूस और चीन नंबर आता है।
इसमें से अधिकतर रिमोट-सेटिंग हैं। ये धरती की निचली कक्षा में मौजूद रहकर धरती के चित्र लेने में मददगार होते है। वही निगरानी, संचार आदि के लिए कुछ सैटेलाइट को धरती की भू-स्थैतिक कक्षा में ही रखा जाता है। ये सैटेलाइट पाकिस्तान के खिलाफ भारत द्वारा की गई सर्जिकल स्ट्राइक में भी मददगार साबित हुई थी। चीन इस मामले में लगातार प्रगति करता जा रहा है,जिसके बाद भारत भी अब तैयार हो रहा है