महज 13 साल की उम्र में हीरा व्यापारी की बेटी बनी संन्यासिन

सूरत: मौज मस्ती की उम्र में यदि कोई सन्यास की राह पर चल निकले, तो फिर कुछ कहने के लिए शब्द नहीं बचते। गुजरात में एक हीरा कारोबारी की 13 वर्षीय बेटी ऐशो-आराम की जिंदगी छोड़कर संन्यासिन बन गई है। वैश्वी मेहता ने अपनी खुशी से सांसारिक सुखों का त्याग करते हुए संन्यास की दीक्षा ली। नौ आचार्यों और 200 से ज्यादा साधु-साध्वियों की मौजूदगी में उसे संन्यास की दीक्षा दी गई।

जानकारी के मुताबिक, वैश्वी हीरा कारोबारी हितेश मेहता और पीलाबेन मेहता की सबसे छोटी बेटी है। तीन साल पहले वह अपने गुरु के साथ 3,000 किलोमीटर की यात्रा पर गई थी, तभी उसने सांसारिक बंधनों को तोड़कर संन्यास का फैसला कर लिया था। वैश्वी के माता-पिता भी उसके इस फैसले में साथ थे। गौरतलब है कि इससे पहले भी सूरत में कई हीरा कारोबारियों के बच्चे कम उम्र में जैन मुनि बन चुके हैं।