जन्मदिन पर दिन भर अर्नब केस की सुनवाई करते रहे जस्टिस चंद्रचूड़, कहा- न्यायदान ही मेरा जीवन

नई दिल्ली. ऑनलाइन टीम : सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ 11 नवंबर को जस्टिस चंद्रचूड़ 61 साल के हो गए। बड़ी बात यह रही कि इस बार अपने जन्मदिन पर जस्टिस चंद्रचूड़ दिन भर अर्नब केस की सुनवाई करते रहे। सुनवाई के बाद हालांकि अर्नब के वकील हरीश साल्वे ने जस्टिस चंद्रचूड़ को जन्मदिन की शुभकामना देते हुए हल्के अंदाज में कहा, ‘जन्मदिन मनाने का इससे खराब तरीका नहीं हो सकता।’ इस पर जस्टिम चंद्रचूड़ बोले, ‘नहीं, नहीं! असल में जन्मदिन मनाने का यही सबसे अच्छा तरीका है। मैं अदालत में फैसले करने के लिए हूं और मुझे यह पसंद है।’ उन्होंने बधाई देने के लिए सभी वकीलों का धन्यवाद किया।

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ बॉम्बे हाईकोर्ट और इलाहाबाद हाईकोर्ट में जज रह चुके हैं। सुप्रीम कोर्ट का जज बनने से पहले जस्टिस चंद्रचूड़ इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे। वह केरल के सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर रोक को असंवैधानिक ठहराने, निजता को मौलिक अधिकार घोषित करने, दो बालिगों के बीच समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने, आईपीसी की धारा 497 को समानता के हक का उल्लंघन बताते हुए असंवैधानिक घोषित करने और इच्छामृत्यु के अधिकार जैसे फैसले दे चुके हैं।

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 9 नवंबर, 2022 को भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) बनेंगे और 10 नवंबर, 2024 तक इस पद पर बने रहेंगे।  अर्नब के मामले में बॉम्बे हाईकोर्ट के कदम को गलत ठहराते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत आजादी पर बंदिशें लगाई गईं, तो न्याय पर आघात होगा। सुप्रीम कोर्ट ने अर्नब एवं दोनों अन्य आरोपितों नीतीश सारदा और फिरोज मुहम्मद शेख को 50-50 हजार रुपये के निजी बांड पर रिहा करने का आदेश दिया। कोर्ट ने महाराष्ट्र सरकार को भी इस तरह की एकतरफा कार्रवाई नहीं करने की नसीहत दी।

अर्नब गोस्वामी समेत तीनों लोगों को रायगढ़ की अलीबाग पुलिस ने 2018 में इंटीरियर डिजाइनर अन्वय नायक और उनकी मां को आत्महत्या के लिए उकसाने के मामले में चार नवंबर को गिरफ्तार किया था। बॉम्बे हाई कोर्ट ने नौ नवंबर को इन्हें जमानत नहीं दी थी और निचली अदालत में जाने को कहा था। अर्नब गोस्वामी ने हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी।