केरल/कोल्लम, 9 जून : केरल के कोल्लम जिले के मंगड के पास कुरीशडी परिसर में 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर वृक्षारोपण करने की बजाय गांजा का पेड़ लगाने की चौंकाने वाली घटना सामने आई है. विश्व पर्यावरण दिवस के मौके पर कई लोगों दवारा अलग-अलग तरह के पेड़ लगाए जाते है और उसका संवर्धन किया जाता है। लेकिन यहां गांजा का पेड़ लगाया गया है। इसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद केरल उत्पादन शुल्क विभाग ने जांच शुरू कर दी है।
5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस के बाद गांजा के पेड़ लगाए गए है। कोल्लम जिले के मंगड के पास कुरीशडी जंक्शन से बाईपास रोड की तरफ जाने वाले परिसर में यह पेड़ लगाए गए है। परिसर में रहने वाले नागरिकों को जब इसे लेकर संदेह हुआ तो उन्होंने इस संबंध में अधिकारियों को जानकारी दी। यह जानकारी मिलने पर उत्पादन शुल्क विभाग की टीम मौके पर पहुंची और पेड़ का निरिक्षण किया। उत्पादन शुल्क विभाग की विशेष टीम के मंडल इंस्पेक्टर टी. राजीव और उनकी टीम ने मामले की जांच शुरू की है।
लेकिन इस टीम के आने से पहले घटनास्थल पर लगाए गए गांजा का पेड़ काट लिया गया था। इस मामले में उत्पादन शुल्क प्रतिबंध अफसर एम मनोज, निर्मलन थांपी, बिनुलाल, नागरी उत्पादन शुल्क अफसर गोपाकुमार, श्रीनाथ, अनिलकुमार जूलियन क्रूझ और ड्राइवर नितिन की टीम ने जांच शुरू की है।
इस दौरान यहां का फोटो सोशल मीडिया में वायरल होने के बाद उत्पादन शुल्क विभाग ने जांच शुरू की है। गांजा का पेड़ 30 से 60 सेंटीमीटर ऊंची होने का संदेह पुलिस ने जताया था। इस मामले में कांडाचीरा के एक व्यक्ति पर संदेह जताया जा रहा है। इससे पहले भी इस व्यक्ति पर गांजा की तस्करी करने के कई मामले दर्ज है। जब उसे जानकारी मिली की उत्पादन शुल्क विभाग को इसकी जानकारी मिल गई है तो उसने पेड़ों को वहां से हटा दिया।
देश का कानून क्या कहता है ?
भारत सरकार ने 1985 में नशीले पदार्थो की दवा और साइकोट्रॉपिक पदार्थ कानून के अनुसार गांजा के पेड़ लगाने पर प्रतिबंध है। लेकिन इस कानून में राज्य सरकार ने औधोगिक कारणों से गांजा का नियमानुसार पेड़ लगाने की परमिशन दी है। इस वनस्पति का इस्तेमाल चरस, गांजा बनाने के लिए होता है। वनस्पति से निकाले गए अंदरूनी हिस्से का इस्तेमाल तेल के निर्माण में भी किया जाता है। लेकिन अन्य भागों का इस्तेमाल नशा करने के लिए किया जाता है।