पिंपरी। समाचार ऑनलाइन
नन्हें बच्चे को खड़े होने और चलने के लिए किसी न किसी की उंगली या सहारे की जरूरत होती है। अगर वह सहारा या उंगली न मिले तो उसके कदम लड़खड़ाने लगते हैं। कुछ इसी तरह से पिंपरी चिंचवड़ के नए पुलिस आयुक्तालय के कदम लड़खड़ा रहे हैं। अचरज तो इस बात का है, नए आयुक्तालय को उंगली या सहारा देने के लिए न तो ‘माईबाप’ सरकार तैयार है न पुलिस महानिदेशक कार्यालय। अब इन हालातों में शहर में कानून व्यवस्था और अमन बनाए रखने की जिम्मेदारी को नया पुलिस आयुक्तालय कैसे निभा सकेगा? यह सवाल खड़ा हुआ है।
बिना बताये घर से निकलने पर निर्दयी माँ ने मासूम बच्ची के साथ किया ऐसा…
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लंबे अरसे और बड़ी शिद्दत के बाद पिंपरी चिंचवड़ की उद्योगनगरी को अलग पुलिस आयुक्तालय मंजूर हुआ है। अलग आयुक्तालय शुरू होने के बाद पिंपरी चिंचवड़ शहर के हालातों में कुछ बदलाव नजर आएंगे, यह उम्मीद थी। इसकी कसौटी पर आयुक्तालय कुछ हद तक खरा भी उतरा, लेकिन सप्ताह भर के भीतर जिस तरह की गंभीर आपराधिक मामले सामने आ रहे हैं उससे लोगों की उम्मीदों पर पानी फिरता नजर आ रहा है। नए आयुक्तालय को जरूरी मैनपॉवर और इंफ्रास्ट्रक्चर मुहैया कराने को लेकर राज्य सरकार और पुलिस महानिदेशक कार्यालय दोनों उदासीन नजर आ रहा है।
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मनुष्यबल हटा लिया गया।
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पहले पिंपरी चिंचवड़ में सिपाही से सहायक फौजदार तक 1517 कर्मचारियों का मनुष्यबल था। हालांकि यहां मंजूर मनुष्यबल 1119 कर्मचारियों का था। पुणे शहर पुलिस ने अतिरिक्त 398 कर्मचारी हटा लिए हैं। जिला पुलिस बल के पांच थानों में भी 329 पुलिस कर्मी मिलने थे मगर परोक्ष में 22 कर्मचारियों की कटौती की गई। आयुक्तालय शुरू होने से पहले की तुलना में शुरू होने के बाद थानों में उपलब्ध मनुष्यबल 20 फीसदी से घट गया है।
पुणे शहर व जिला पुलिस द्वारा अतिरिक्त पुलिस बल निकाल लिए जाने से पिंपरी चिंचवड़ में थानों और ट्रैफिक विभाग के लिए उपलब्ध कराए गए कर्मचारियों में से 436 कर्मियों की नियुक्ति की गई। नतीजन स्पेशल ब्रान्च, पासपोर्ट, महिला सेल, क्राइम ब्रांच और उसके अलग अलग दस्तों के गठन में दिक्कतें आ रही हैं। अलग आयुक्तालय शुरू होने से पूर्व नौ थानों के अलावा दंगा काबू दस्ता, बम शोधक दस्ता, क्विक रिस्पॉन्स टीम और क्राइम ब्रांच के दस्तों के लिए अलग मनुष्यबल और वाहन उपलब्ध कराए जाते थे। नए आयुक्तालय में कर्मचारी वर्ग करते वक्त इन दस्तों के कर्मचारी और वाहन दोनों हटा लिए गए। ग्रामीण इलाकों में फिरौती और डकैती विरोधी दस्ते की टीमें गश्त लगाती थी उन्हें भी हटा लिया गया है।
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