एक पिस्तौल से नहीं हुई लंकेश- कलबुर्गी- पानसरे- दाभोलकर की हत्या

कर्नाटक एसआईटी का बड़ा खुलासा

बेंगलुरु। समाचार एजेंसी

अब तक जैसा कहा जा रहा था कि पत्रकार गौरी लंकेश, डॉ नरेंद्र दाभोलकर, प्रो एम कलबुर्गी और कॉमरेड गोविंद पानसरे की हत्या एक ही पिस्तौल से हुई और उनके हत्यारे भी एक है। हांलाकि अब कर्नाटक पुलिस की एसआईटी की जांच में नई जानकारी सामने आई। इन हत्याओं में एक नहीं दो पिस्तौल इस्तेमाल की गई और उन्हें अंजाम देनेवाले हाथ भी अलग-अलग है। जांच में पता चला है कि गौरी लंकेश, डॉ दाभोलकर, गोविंद पानसरे और कलबुर्गी की हत्या के लिए 765 मिमी की दो पिस्तौल इस्तेमाल की गई। हत्यारे अलग- अलग व्यक्तियों ने की है जिनके पीछे हिंदुत्ववादी संगठनों का हाथ है।

इन चार हत्याओं में इस्तेमाल की गई पिस्तौलें एक समान है मगर अंजाम देनेवाले हाथ अलग अलग हैं। हत्याओं की प्लानिंग और उस पर परोक्ष अमलबाजी करने की जिम्मेदारी दो से तीन लोगों पर थी। गौरी लंकेश की हत्या के मामले में कर्नाटक पुलिस ने 11 जून को परशुराम वाघमारे को उत्तर कर्नाटक के विजयपुरा से गिरफ्तार किया। इससे पहले गिरफ्तार चार आरोपियों से मिली जानकारी के आधार पर यह गिरफ्तारी की गई। ये चारों भी सनातन और हिन्दू जनजागरण समिति से संबंधित हैं। पूछताछ में परशुराम ने हत्या की वारदात स्वीकार ली है। लंकेश की हत्या के लिए उसे बाकायदा पिस्तौल चलाने की ट्रेनिंग दी गई थी। जहां उसे यह ट्रेनिंग दी गई वह जगह भी उसने बीते दिन पुलिस को दिखाई। यही नहीं उसे यह ट्रेनिंग पुणे के चिंचवड़ निवासी अमोल काले जो कि सनातन का साधक और हिन्दू जनजागरण समिति से जुड़ा है, ने दी थी, यह भी पता चला है।