जलापूर्ति के लिए सभागृह में लगाया ताला; आयुक्त को भी घेरा

पिंपरी : समाचार ऑनलाईन –  पवना बांध के लबालब भरने के बाद भी पिंपरी चिंचवड़ शहर में पानी की भारी किल्लत बनी हुई है। स्थायी समिति से लेकर आम सभा तक में इस मुद्दे पर लंबी बहस छिड़ी, आरोप- प्रत्यारोप के दौर चले। यहां तक कि विशेष बैठक में तो माइक फेंककर तोड़ने और अधिकारियों के साथ तू तू मैं मैं तक हुई। इसके बावजूद पानी की किल्लत दूर होने का नाम नहीं ले रही। इससे नाराज होकर सत्तादल भाजपा के नगरसेवक तुषार कामठे और आरती चोंधे ने शनिवार को स्थायी समिति के सभागृह में ताला जड़ दिया। पहले पानी की किल्लत दूर करें फिर सभाएं लेते रहें, यह भूमिका अपनाते हुए मनपा आयुक्त श्रावण हार्डिकर का घेराव भी किया गया। इसके चलते आयुक्त को सभा के बिना ही अपने कार्यालय में लौट जाना पड़ा।
पिंपरी चिंचवड़ समेत राज्य के कई हिस्से में बारिश ने हाहाकार मचा रखा है। गत कुछ दिनों से एक ब्रेक के बाद बारिश ने अपनी दमदार हाजिरी लगाई है। शहर की प्यास बुझाने वाले पवना बांध का जलसंचय शतप्रतिशत हो गया है। इसके बावजूद शहर में पानी की किल्लत दूर होने का नाम नहीं ले रही है। जनप्रतिनिधियों को नागरिकों के आक्रोश का सामना करना पड़ रहा है। सर्वसाधारण सभा में भी इस मुद्दे पर मैराथन बहस चली, आरोप- प्रत्यारोप के दौर चले। इसमें सत्तादल के नगरसेवकों की आक्रमकता उल्लेखनीय रही। यही नहीं विशेष सर्वदलीय बैठक में तो सत्तादल के नगरसेवक चन्द्रकांत नखाते ने माइक तोड़कर फेंक दिया। उनके और जलापूर्ति विभाग के कार्यकारी अभियंता रामदास तांबे के बीच तू तू मैं मैं हुई दोनों ने एक- दूसरे को देख लेने की धमकी तक दे दी। इसके बाद भी पानी की किल्लत बराबर बनी हुई है।
पानी किल्लत से शहरवासियों और उनके आक्रोश का सामना कर रहे नगरसेवकों में नाराजगी का माहौल बना हुआ है। इसी नाराजगी के चलते आज पिंपले निलख, विशालनगर के मधुबन सोसाईटी, राहुल सोसाईटी, तनिष्क कालोनी, दत्त कालोनी, शांती निकेतन सोसाईटी, निको स्काय पार्क, समर्थ कालोनी आदि इलाके में गत कई दिनों से बनी पानी की किल्लत के विरोध में भाजपा के स्थानीय नगरसेवक तुषार कामठे और आरती चोंधे ने स्थायी समिति सभागृह को ताला जड़ दिया। साथ ही मनपा आयुक्त का घेराव कर उनसे जवाब मांगा। उनके आंदोलन और आक्रामक रुख देखते हुए मनपा आयुक्त को सभा के बिना ही अपने कार्यालय में लौट जाना पड़ा।
तुषार कामठे ने सवाल उठाया है कि अगर हम पानी जैसी बुनियादी जरूरत को पूरा नहीं कर सकते तो विकास की गप्प हांकने का क्या मतलब? बहरहाल नागरी मसलों पर सत्तादल के नगरसेवकों के आंदोलन और आक्रामक तेवर मनपा गलियारों में चर्चा और उत्सुकता का विषय बने हैं।