महापौर चुनाव में बागी नगरसेवकों की भूमिका पर गड़ी निगाहें

पिंपरी। संवाददाता –  विधानसभा चुनाव में महायुति के प्रत्याशियों के खिलाफ बगावत करनेवाले भाजपा के दो नगरसेवकों को पार्टी से निष्कासित किया गया है। इससे उनके नगरसेवक पद पर भी खतरा मंडरा रहा है। हालांकि पार्टी से निष्कासित किये गए पिंपरी चिंचवड़ मनपा के नगरसेवकों में शामिल बालासाहेब ओव्हाल और सीमा सावले दोनों अभी भी टेक्निकली भाजपा में ही हैं क्योंकि उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों और उनके खिलाफ की गई निष्कासन कार्रवाई से संभागीय आयुक्त को अवगत नहीं कराया गया है। रिकॉर्ड पर ये दोनों अभी भी भाजपा में हैं। ऐसे में यह देखना दिलचस्प होगा कि ये दोनों 22 नवंबर को घोषित महापौर चुनाव में क्या भूमिका अपनाते हैं?
हालिया संपन्न हुए विधानसभा चुनाव ने भाजपा नगरसेवक बालासाहेब ओव्हाल ने पिंपरी विधानसभा और नगरसेविका एवं स्थायी समिति की भूतपूर्व अध्यक्षा सीमा सावले ने अमरावती के दर्यापुर विधानसभा क्षेत्र से बतौर निर्दलीय चुनाव लड़ा था। हालांकि दोनों को असफलता मिली और मगर दोनों ही जगहों पर महायुति के प्रत्याशियों को हार का सामना करना पड़ा। महायुति के प्रत्याशियों के समक्ष बगावत का परचम लहराने से दोनों नगरसेवकों को भाजपा से निष्कासित कर दिया गया है। अगर भाजपा के सदन नेता एकनाथ पवार दोनों की पार्टी विरोधी गतिविधियों और किये गए निष्कासन के बारे से पुणे के संभागीय आयुक्त को अवगत कराते हैं, तो दोनों की सदस्यता भी खारिज की जा सकती है।
इस गहमागहमी में एक और सवाल उत्सुकता की चरम सीमा बढ़ा रहा है कि भाजपा से निष्कासित नगरसेवक ओव्हाल और नगरसेविका सावले 22 नवंबर को होने जा रहे महापौर- उपमहापौर के चुनाव में क्या भूमिका अपनाते हैं? पार्टी द्वारा निष्कासन कार्रवाई करने के बाद भाजपा के गुटनेता को संभागीय आयुक्त के पास उनकी पार्टी विरोधी गतिविधियों के बारे में शिकायत करनी होती है। इस शिकायत के लिए भी 15 दिनों की डेडलाइन होती है। मनपा में भाजपा के गुटनेता यानी सदन के नेता एकनाथ पवार ने ऐसी कोई कार्यवाही ही नहीं की है। ऐसे में सावले और ओव्हाल दोनों अभी भी तकनिकी दृष्टि से भाजपा में ही हैं। खुद मनपा के नगरसचिव उल्हास जगताप ने भी इस जानकारी की पुष्टि की है कि दोनों नगरसेवक भाजपा में ही हैं, ऐसा संभागीय आयुक्तालय के रिकॉर्ड में अभी भी दर्ज है।