मध्यप्रदेश: विधानसभा चुनाव में नसीब आजमाने तैयार नेताओं की संतानें

पुणे | समाचार ऑनलाइन – वैसे तो भारतीय राजनीति वंशवाद से कभी अछूती नहीं रही है, मगर चुनावों के दौरान वंशवाद हमेशा पार्टियों पर भारी पड़ता रहा है। अब तक कांग्रेस पर वंशवाद के आरोप लगते रहे तो अब सत्तादल बीजेपी भी वंशवाद में डूबी नजर आ रही है। मध्य प्रदेश विधानसभा चुनाव में करीब आधा दर्जन मंत्री, सांसद और विधायक अपने पुत्रों को टिकट के लिए जोर-आजमाइश कर रहे हैं।
इन नेताओं की संतानें है होड़ में

मध्यप्रदेश चुनाव में जिन नेताओं की संतानें अपना नसीब आजमाने के लिए तैयार है उनमें राज्यसभा सांसद प्रभात झा के बेटे तुष्मुल, नरेंद्र सिंह तोमर बेटे देवेंद्र उर्फ रामू, सुमित्रा महाजन बेटे मंदार, सतना सांसद गणेश सिंह के भाई उमेश प्रताप सिंह, मंत्री गोपाल भार्गव के बेटे अभिषेक, सागर सांसद लक्ष्मीनारायण यादव के बेटे सुधीर, मंत्री जयंत मलैया के पुत्र सिद्धार्थ, मंत्री गौरीशंकर शेजवार के बेटे मुदित शेजवार, मंत्री रुस्तम सिंह बेटे राकेश, इंदौर महापौर मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य, मंत्री माया सिंह बेटे पीतांबर, मंत्री नरोत्तम मिश्रा के पुत्र सुकर्ण मिश्रा और मंत्री गौरीशंकर बिसेन की बेटी शामिल हैं।

पटना : लालू यादव को जेल से भगाने की हो रही है साज़िस

टिकट बांटने की माथापच्ची
विधानसभा चुनाव के समर में टिकट काटने और बांटने की माथापच्ची के बीच बीजेपी में नेतापुत्रों की फौज और रिश्तेदार टिकट की दौड़ में शामिल हैं। वहीं, नेतापुत्रों को टिकट दिए जाने को लेकर बीजेपी नेताओं का सॉफ्ट कार्नर भी अब खुल कर सामने आ रहा है। बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भोपाल में कहा है कि पार्टी विचार करेगी कि कौन कार्यकर्ता किस समय, कितने लंबे समय से काम कर रहा है, कौन लड़ सकता है और कौन नहीं लड़ सकता। नेतापुत्रों की दावेदारी के सवाल पर उन्होंने कहा, किसी नेता का पुत्र होना कोई दोष नहीं होता, यदि वह इस योग्य होगा तो निश्चित रूप से पार्टी उस पर विचार करेगी।
ज्ञात हो कि खुद कैलाश विजयवर्गीय के बेटे आकाश विजयवर्गीय का नाम भी टिकट के दावेदारों की दौड़ में शामिल है। वहीं, बीजेपी में नेतापुत्रों की पूरी फौज है जो अपने पिता की विरासत को आगे ले जाने के लिए कतार में खड़ी है। इस पर कांग्रेस प्रवक्ता अभय दुबे का कहना है कि कांग्रेस के वंशवाद में गांधी खानदान का खून है जो गर्व की बात है और बीजेपी के वंशवाद की तुलना कांग्रेस के वंशवाद से नही की जा सकती।