सीबीआई निदेशक वर्मा के वनवास के पीछे ये फ़ाइलें तो नहीं?

नई दिल्ली | समाचार ऑनलाइन – सीबीआई के निदेशक अलोक वर्मा को सरकार ने छुट्टी पर भेज दिया है. कांग्रेस सरकार के इस फैसले के खिलाफ आक्रामक हो गई है. आलोक वर्मा ने भी इसका विरोध करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है. वहीं, यह बात भी निकलकर सामने आ रही है कि छुट्टी पर भेजे जाने से पहले वर्मा सात ऐसी महत्वपूर्ण मामलों की फ़ाइलों को संभाल रहे थे, जो मोदी सरकार की परेशानी बढ़ा सकती थीं. लिहाजा, यह अंदेशा भी व्यक्त किया जा रहा है कि भविष्य में आने वाले संकट को देखते हुए सरकार ने वर्मा को वनवास पर भेजा है.

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सूत्र बताते हैं कि रफ़ाल विमान के मामले में शिकायत की जांच चल रही है और इस बारे में निर्णय लिया जाना है. आलोक वर्मा को 4 अक्तूबर को भाजपा नेता यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी और वरिष्ठ वकील प्रशांत भूषण ने 132 पन्नों की रिपोर्ट सौंपी थी. जिसके बाद से मोदी सरकार अहसज महसूस करने लगी थी. इसके अलावा, मेडिकल काउंसिल ऑफ़ इंडिया में भ्रष्टाचार के मामले में उच्च स्तर पर मौजूद लोगों की भूमिका की जांच भी चल रही थी. इसमें उड़ीसा उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश आईएम कुद्दुसी का भी नाम है. सूत्रों के अनुसार कुद्दुसी के ख़िलाफ़ चार्जशीट तैयारी कर ली गई थी और उन पर बस अलोक वर्मा के दस्तख़त होने बाकी थे.

यह भी सामने आ रहा है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश एस एन शुक्ला का मामला जिसमें उन्हें मेडिकल सीटों पर प्रवेश में भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते छुट्टी पर भेज दिया गया था कि प्राथमिक जांच पूरी हो गई और सिर्फ वर्मा के हस्ताक्षर होना बाकी थे. वहीं, भाजपा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी ने भी सीबीआई को कुछ दस्तावेज़ सौंपे थे, जिनके आधार पर उन्होंने वित्त एवं राजस्व सचिव हंसमुख अधिया के खिलाफ शिकायत की थी, वर्मा इस मामले में भी गंभीरता से नज़रें गड़ाए हुए थे.

साथ ही, वर्मा के नेतृत्व में कोयला खदानों के आवंटन मामले में प्रधानमंत्री के सचिव आईएएस अधिकारी भास्कर खुलबे की संदिग्ध भूमिका की सीबीआई जांच की जा रही थी.

इसी तरह नौकरी के लिए नेताओं और अधिकारियों को रिश्वत देने के मामले में दिल्ली के एक बिचौलिये के घर पर छापा मारा गया था, इस मामले की भी जांच चल रही है. साथ ही संदेसरा और स्टर्लिंग बायोटेक केस की जांच पूरी होनी वाली थी. ख़ास बात यह है कि इसमें सीबीआई के विशेष निदेशक राकेश अस्थाना की कथित भूमिका की जांच की जा रही थी.