पहले भी सीबीआई की मुश्किलें बढ़ाता रहा है मोइन कुरैशी

नई दिल्ली | समाचार ऑनलाइन – सीबीआई में मचे कोहराम में एक चेहरा बेहद ख़ास है, और वो है मोइन कुरैशी. कुरैशी के चलते ही सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना को छुट्टी पर भेजा गया है. वैसे मोइन कुरैशी इससे पहले भी सीबीआई के लिए मुश्किलें खड़ी करता रहा है. 2014 में जब रंजीत सिन्हा के घर की मुलाक़ाती डायरी लीक हुई तो सामने आया कि सीबीआई निदेशक और कुरैशी के बीच 15 माह में 70 मुलाक़ातें हुई थीं. ऐसे ही 2017 में प्रवर्तन निदेशालय ने मोइन कुरैशी के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज की तो उसमें सीबीआई के पूर्व डायरेक्टर एपी सिंह का नाम भी शामिल था.

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उत्तर प्रदेश के कानपुर से ताल्लुक रखने वाले मोइन अख्तर कुरैशी ने 1993 में रामपुर में एक छोटा सा बूचड़खाना खोला था और जल्द ही देश का सबसे बड़ा मांस कारोबारी बन गया. इतना ही नहीं, पिछले 25 वर्षों में उसने निर्माण और फैशन समेत कई क्षेत्रों में दर्जनों  कंपनियां खड़ी कर ली हैं. कुरैशी का नाम सबसे पहले  2014 में आयकर विभाग द्वारा उसकी छतरपुर, रामपुर और कई अन्य संपत्तियों पर मारे गए छापे के बाद सामने आया. कहा जाता है कि इन छापों में न सिर्फ़ करोड़ों कैश मिला बल्कि कुरैशी और दूसरे अहम लोगों की बातचीत के टेप भी हासिल हुए जो शायद मीट-निर्यात और कथित हवाला ऑपरेटर ने ख़ुद ही रिकॉर्ड किए थे. कुरैशी के खिलाफ चोरी, मनी लॉन्ड्रिंग और भ्रष्टाचार में शामिल होने के कई आरोप हैं और उनकी जांच भी चल रही है. उस पर सीबीआई के अधिकारियों, नेताओं को भी रिश्वत देने का आरोप है.

पिछले साल प्रवर्तन निदेशालय ने मोइन कुरैशी के ख़िलाफ़ जो एफ़आईआर दर्ज की थी उसमें एपी सिंह का नाम भी था. यह मामला भी 2014 से जुड़ा है. तब यह बात सामने आई थी कि कुरैशी और सीबीआई निदेशक एपी सिंह के बीच संदेशों का आदान-प्रदान हुआ था. सिंह 2010 से 2012 तक एजेंसी के चीफ रहे थे. अब ताज़ा मामले में भी कुरैशी मुख्य भूमिका निभाता दिख रहा है. दरअसल, अस्थाना ने आरोप लगाया है कि कुरैशी से जुड़े केस में राहत पहुंचाने के लिए वर्मा ने 2 करोड़ की रिश्वत ली है. जबकि, वर्मा का आरोप है कि अस्थाना ने 3 करोड़ रुपये की रिश्वत ली.