रामदास आठवले द्वारा पिंपरी व कैंटोन्मेंट सीटें मांगने से महायुति के विधायक मुश्किल में

पिंपरी : समाचार ऑनलाईन – पुणे में कैंटोन्मेंट व पिंपरी-चिंचवड़ में पिंपरी विधानसभा सीट की मांग की जिद आरपीआई (आठवले गुट) ने पकड़ ली है इससे भाजपा-शिवसेना के विधायक सकते में आ गए हैं। इसकी वजह से यहां पर महायुति में सीट वितरण को लेकर पेच फंस गया है।

क्या आरपीआई को दी जाएगी यह सीटें
आरपीआई की मांग के बाद सभी की नजरें इस बात पर टिक गई है कि क्या मौजूदा विधायकों को किनारे करके ये सीटें आरपीआई को दी जाएगी? इतना ही नहीं पिंपरी में इस घटनाक्रम में नया ट्विस्ट आ गया है। यहां शिवसेना के अन्य इच्छुकों ने अपना दावा पेश कर दिया है।

शनिवार को पिंपरी-चिंचवड़ के दौरे पर आये आरपीआई के अध्यक्ष व केंद्रीय सामाजिक न्याय राज्यमंत्री रामदास आठवले ने कहा कि पिंपरी, कैंटोन्मेंट सहित राज्य की 10 सीटें आरपीआई को मिलनी ही चाहिए। पिंपरी से एड्। गौतम चाबुकस्वार विधायक है। इस विधानसभा क्षेत्र से लोकसभा में महायुति को बढ़त दिलाने में चाबुकस्वार ने काफी मेहनत की थी।

भाजपा-शिवसेना का सीट वितरण फॉर्मूला
शिवसेना-भाजपा के सीट वितरण फॉर्मूले के मौजूदा विधायकों की सीटें जैसे थे उन-उन पार्टियों के साथ रखने की है। ऐसे में चाबुकस्वार का रिटर्न टिकट कंफर्म होगा। लेकिन आठवले की मांग पर टिकट रद्द होने की चिंता चाबुकस्वार के शुभचिंतकों को सताने लगी है। इसके पीछे कारण है। पिछली बार इस विधानसभा सीट पर आरपीआई के उम्मीवार को राज्य में सबसे अधिक वोट मिला था।

लोकसभा में आठवले की वजह से महायुति को जीत मिली
लोकसभा में आठवले की वजह से महायुति को शानदार जीत मिली। इसके इनाम के रूप में उन्हें राज्यमंत्री का पद दिया गया। लोकसभा की तरह विधानसभा में भी फायदा मिले इसलिए विधानसभा व विधान परिषद इनमें से किसी में भी सभागृह का सदस्य नहीं होने की वजह से आरपीआई के अविनाश महातेकर कोे आठवले के विभाग सामाजिक न्याय विभाग की तरह राज्य में राज्यमंत्री पद दिया गया है।

जानकार मानते हैं कि उनकी मांग मानी जाएगी
राजनीति के जानकारों का अनुमान है कि ऐसे में राज्य में आठ नहीं, पिंपरी व कैंटोन्मेंट सीट की भी उनकी मांग पूरी होगी। इसलिए पिंपरी के शिवसेना विधायक के टिकट कटने का डर कार्यकर्ताओं को सताने लगा है।

भाजपा-शिवसेना का होगा नुकसान 
दूसरी तरफ विवाद व अकार्यक्षमता की वजह से समाजिक न्याय राज्यमंत्री गंवाने वाले कैंटोन्मेंट के विधायक दिलीप कांबले आठवले की जिद के आगे घूटने टेक देने की स्थिति पैदा हो जाएगी? आठवले की इस जिद का सीधा असर शिवसेना, भाजपा पर पड़ेगा। उन्हें एक सीट छोड़नी ही पड़ेगी।