मणिकर्णिका रिव्यु: देश भक्ति से लबालब और रोंगटे खड़े कर देने वाली फिल्म है ‘मणिकर्णिका’

पुणे : समाचार ऑनलाइन (असित मंडल) – तमाम विवादों के बाद आज ‘मणिकर्णिका: द क्वीन ऑफ झांसी’ को रिलीज कर दिया गया। फिल्म को दर्शक लंबे समय से इंतिजार कर रहे थे। ये फिल्म झांसी की रानी लक्ष्मीबाई की जिंदगी पर आधारित है। जिसमें लीड रोल कंगना रनौत ने निभाया है। अब तक कंगना की पहचान बोल्ड और ग्लैमरस गर्ल के तौर पर ही की जाती थी, लेकिन इस फिल्म से कंगना को देखने का नज़रिया बदलने लगेगा। इस फिल्म में कंगना ‘झांसी की रानी’ के रोल में खूब जची हैं। फिल्म को रिपब्लिक डे के मौके पर रिलीज किया गया है। चुकी ये एक देशभक्ति फिल्म है तो उम्मीद है कि बॉक्स ऑफिस पर ये फिल्म कमाल करेगी।

फिल्म की कहानी –
अमिताभ बच्चन के वॉइस ओवर के साथ कहानी की शुरुआत होती है। अठारह सौ अट्ठाईस के दशक में मनु उर्फ मणिकर्णिका की हीरोइक एंट्री होती है, जहां वह अपनी अचूक तीरअंदाजी से खूंखार शेर को बेहोश कर देती है। बिठूर में पैदा हुई पेशवा (सुरेश ओबेरॉय) की इस दत्तक पुत्री को शौर्य, साहस और सुंदरता जन्मजात मिली थी, इसलिए राजगुरु (कुलभूषण खरबंदा) की निगाह उस पर पड़ती है और अपनी इन्हीं खूबियों के कारण वह झांसी के राजा गंगाधर राव नावलकर की रानी बनती है।

झांसी की रानी को अंग्रेजों के सामने सिर झुकाना कभी गवारा नहीं था। वह झांसी को वारिस देने पर खुश है कि अब उसके अधिकार को अंग्रेज बुरी नियत से हड़प नहीं पाएंगे। मगर घर का ही भेदी सदाशिव (मोहम्मद जीशान अयूब) षड्यंत्र रचकर पहले लक्ष्मीबाई की गोद उजाड़ता है और फिर अंग्रेजों के जरिए गद्दी छीन लेता है। फिल्म में 1857 के राष्ट्रीय आंदोलन को उतनी गहराई से नहीं दर्शाया गया है, लेकिन क्लाइमेक्स में अंग्रेज सर ह्यूरोज की सेना के साथ लक्ष्मीबाई का युद्ध और वीरतापूर्ण ढंग से प्राणों की आहुति देनेवाला अंदाज रोंगटे खड़े कर देता है। ‘मणिकर्णिका’ एक पीरियड ड्रामा है। फिल्म में रानी लक्ष्मीबाई कैसे युद्ध लड़कर दुश्मन को खदेड़ती हैं और कैसे अपनी मातृभूमि के लिए शहीद होती हैं, इसके लिए आपको फिल्म देखनी होगी। वैसे विस्तार से फिल्म की कहानी आपको देखने-सुनने के बाद ही समझ आएगी।

एक्टिंग –
सबसे पहले कंगना रनौत की एक्टिंग की बात करें तो उनकी परफॉर्मेंस को देखकर लगता है कि झांसी की रानी लक्ष्मीबाई का रोल उन्हीं के लिए बना था, लेकिन फिल्म में कंगना का डायलॉग डिलीवरी कही-कही आपको अजीब लगेगी। झलकारी बाई के रोल में अंकिता लोखंडे को ज्यादा स्क्रीन टाइम नहीं दिया गया है। लेकिन,अपनी पहली फिल्म में वह अपनी मौजूदगी दर्ज कराने में कामयाब रही हैं। गुलाम गौस खान के रोल में डैनी की परफॉर्मेंस ये साबित करती है कि उनमें पहले जैसी धार अभी भी कायम है। वहीं, गंगाधर राव के रोल में जीशूसेन गुप्ता, पेशवा के रोल में सुरेश ओबरॉय और राजगुरु के रोल में कुलभूषण खरबंदा ने अपना रोल बखूबी निभाया है।

डायरेक्शन –
निर्देशन की बात करें, तो सभी जानते है कि इसकी जिम्मेदारी राधा कृष्ण, जगरलामुदी के अलावा मुख्य रूप से कंगना ने निभाई है और इसमें कोई शक नहीं कि इस भार को उन्होंने अपने नाजुक कंधों पर बखूबी उठाया है। इंटरवल तक फिल्म धीमी गति से आगे बढ़ती है। मगर सेकंड हाफ में जैसे ही स्वंत्रता संग्राम का बिगुल बजता है, फिल्म का ऐक्शन, टर्न ऐंड ट्विस्ट, रणभूमि की ज्वाला माहौल को रोमांचक बना देती है। फिल्म में बेहतर स्पेशल इफेक्ट्स का इस्तेमाल होता, तो रोमांच और बढ़ जाता। फिल्म में कई दृश्य और संवाद ताली पीटने पर मजबूर कर देते हैं। मातृभूमि के लिए मर-मिटनेवाले प्रसून जोशी के संवाद जोश भर देते हैं।

मजबूत कड़ी –
मणकर्णिका संजय लीला भंसाली की फिल्मों की तरह वॉर ड्रामा नहीं है। लेकिन, मेकर्स ने इस फिल्म के स्केल का खूब ध्यान रखा है। फिल्म का बेस्ट पार्ट इसका एक्शन है। चाहे वो खुद कंगना रनौत हो या फिर टीवी से बॉलीवुड में कदम रखने रही एक्ट्रेस अंकिता लखंडे। दोनों को पर्दे पर तलवारबाजी करते हुए देखना रोमांचक है। फिल्म का बैग्राउंड म्यूजिक और साउंड 1857 की क्रांति जैसा ही जोश भर देगा। फिल्म के आखिरी 40 मिनट आपके रौंगटे खड़े कर देंगे।

कमजोर कड़ी –
फिल्म के पहले हाफ के मुकाबले इसका सेकंड हाफ इसकी कमजोर कड़ी है। वहीं फिल्म में कंगना के बोलने का तरीका काफी खराब है। इसके अलावा फिल्म में निरंतरता की कमी भी साफ नजर आ रही है। फिल्म का सबसे कमजोर हिस्सा इसके विलेन थे। फिल्म के विलेन का रोल निभा रहे एक्टर्स में चमक की कमी लगी। इस फिल्म ने फिर साबित कर दिया है कि विदेशी एक्टर को हिंदी बुलाना उतना आसान नहीं है।

बॉक्स ऑफिस –
कंगना की इस फिल्म की बॉक्स ऑफिस पर नवाजुद्दीन की ठाकरे से टक्कर है। मणिकर्णिका के फर्स्ट डे बॉक्स ऑफिस पर 13 से 15 करोड़ कमाने की उम्मीद है, लेकिन नवाज की ठाकरे से इसे नुकसान उठाना पड़ सकता है। फिल्म का बजट लगभग 100 करोड़ रुपये बताया जा रहा है। ‘मैंने रहु या न रहु भारत ये रहना चाहिए’ गाना देश भक्ति से लबालब है। बाकि के गाने ठीक-ठाक है।

कंगना रनौत फिल्म की जान हैं। फिल्म में कंगना ब्यूटी विद पावर नजर आ रही हैं। अगर आपको देशभक्ति, बड़े-बड़े महल, अंगेजों से लड़ाई जैसे फिल्मों का शोक है तो ये फिल्म आपको अच्छी लगेगी। हमारी तरफ से ‘मणिकर्णिका’ को 3.5 स्टार दिया जाता है।