पुणे की यलगार परिषद के संयोजन में लगा था माओवादियों का पैसा

जॉइंट पुलिस कमिश्नर रविंद्र कदम का खुलासा

पुणे। समाचार ऑनलाइन

पुणे श्रमिक पत्रकार संघ द्वाराआयोजित वार्तालाप के कार्यक्रम में पुणे के जॉइंट पुलिस कमिश्नर रविंद्र कदम ने खुलासा किया कि, भीमा कोरेगांव हिंसा के लिए जिस यलगार परिषद को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है, उस परिषद के आयोजन में माओवादियों का पैसा लगा था। हांलाकि उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि इस परिषद और भीमा कोरेगांव हिंसा का कोई कनेक्शन नहीं था। इसका कोई सबूत पुलिस को अब तक नहीं मिला है।

उन्होंने यह भी कहा कि, यलगार परिषद के संयोजन में माओवादियों के पैसा जरूर लगा था, मगर इसका मतलब ये कत्तई नहीं है कि इसमें शामिल हुए लोग माओवादी थे या फिर माओवादियों से संबंधित थे। ज्ञात हो कि इस साल भीमा कोरेगांव रणसंग्राम के 200 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में शनिवारवाड़ा पर यलगार परिषद का आयोजन किया गया था। इसमें भड़काऊ भाषण देने को लेकर गुजरात के विधायक जिग्नेश मेवानी और जेएनयू छात्र नेता उमर खालिद के खिलाफ पुणे पुलिस ने मामला दर्ज किया है।

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यही नही यलगार परिषद के संयोजकों के खिलाफ भी पुलिस ने मामला दर्ज किया। इसमें कबीर कला मंच का भी समावेश था। पुलिस का मानना था कि यलगार परिषद में इस मंच के कार्यकर्ताओं ने लोगों की भावनाओं को भड़काने वाले गीतों की प्रस्तुति दी थी।इस परिषद के तुरंत बाद 1 जनवरी को शौर्य दिवस पर भीमा कोरेगांव में दंगा भड़का था। इस दंगे में एक युवक की मौत हो गई थी और लोगों के घर, दुकानों और वाहनों में तोड़फोड़ करते हुए उन्हें आग के हवाले किया गया। इस घटना का असर पूरे महाराष्ट्र में देखा गया जगह- जगह तोड़फोड़, आगजनी जैसी घटनाएं घटी। इस हिंसाचार के लिए जिम्मेदार मानकर शिवप्रतिष्ठान के संस्थापक संभाजी  भिड़े गुरुजी और हिन्दू एकता आघाडी के मिलिंद एकबोटे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया। बाद में इस हिंसा के पीछे माओवादी कनेक्शन रहने की बात भी सामने आई।