फिर डोलने लगी महापौर नितिन कालजे की कुर्सी

पिंपरी। पुणे समाचार ऑनलाइन
महापौर बदलाव की बयार तेज हो चली है, शुक्रवार (22 जून) को मई और जून माह की आज स्थगित सर्व साधारण सभा के बाद इसकी गतिविधियां तेज हो जाएगी। वस्तुतः आज की सर्व साधारण सभा के बाद से महापौर बदलाव की गतिविधियां तेज होना तय माना जा रहा था, मगर इसके स्थगित हुए जाने से बदलाव का मुहूर्त भी आगे बढ़ गया है। कुल मिला कर पिंपरी चिंचवड़ मनपा में महापौर नितिन कालजे की कुर्सी अब डोलने लगी है, उनका पद से हटना अब तय माना जा रहा है।
सत्ता परिवर्तन के बाद सत्तादल भाजपा में ओबीसी प्रवर्ग के लिए आरक्षित महापौर सीट का ढाई साल का कार्यकाल दो हिस्सों में बांट कर दो नगरसेवको को मौका देना तय किया गया है। पहले महापौर के तौर पर चयनित नितिन कालजे का सवा साल का कार्यकाल इस माह खत्म होने जा रहा है। नतीजन मनपा गलियारे में महापौर बदलाव की हवाएं तेज हो चली है। इस पद के लिए भाजपा के भोसरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक रहे महेश लांडगे के गुट के राहुल जाधव प्रबल दावेदार हैं।
राहुल जाधव के साथ ही भाजपा शहराध्यक्ष व विधायक लक्ष्मण जगताप गुट के शत्रुघ्न काटे, शशिकांत कदम, पुराने निष्ठावान गुट के नामदेव ढाके, शीतल उर्फ विजय शिंदे आदि भी तीव्र इच्छुक हैं। अगला महापौर विधायक लांडगे या विधायक जगताप या फिर पुराने निष्ठावान गुट का होगा? अभी इसके बारे में अलग अलग तर्क- वितर्क लड़ाए जा ही रहे हैं कि भोसरी विधानसभा क्षेत्र से विधायक लांडगे गुट के एक और नगरसेवक संतोष लोंढे की दावेदारी ने नेताओं का सिरदर्द बढा दिया है।
पहले साल महापौर पद विधायक लांडगे और स्थायी समिति अध्यक्ष पद विधायक जगताप के गुट को मिला। उपमहापौर और सभागृह नेता पद भाजपा के पुराने व निष्ठावान गुट को मिला। इस बार महापौर और स्थायी समिति अध्यक्ष परस्पर विरोधी गुटों को मिलना तय था मगर ऐन वक्त पर विधायक जगताप की सियासी चाल काम कर गई और स्थायी समिति अध्यक्ष पद पुनः जगताप गुट के पास चला गया। इसपर बवाल मचने के बाद महापौर पद लांडगे गुट को मिलना तय माना जा रहा है। हांलाकि इस बार भी उनकी राह आसान नजर नहीं आ रही है।
महापौर पद को लेकर एक अनार सौ बीमार वाली हालत रहने से सत्तादल पर किसी एक को मौका देकर दूसरे की नाराजगी झेलने की नौबत आनी तय है। फिलहाल महापौर पद भोसरी या चिंचवड़ या पिंपरी विधानसभा क्षेत्र में जाता है? यह देखना दिलचस्प होगा। बहरहाल महापौर चुनाव के बाद इस पद से मौका चुकनेवालों की नाराजगी दूर करने के लिए मौजूदा उपमहापौर और सभागृह नेता की बलि देने की तैयारी भी किये जाने की खबर है। क्योंकि आगामी चुनावों की पृष्ठभूमि पर असंतुष्टों की नाराजगी भाजपा के लिए नुकसानदेह साबित हो सकता है।