20 साल में 3 लाख से अधिक किसानों ने मौत को गले लगाया

नई दिल्ली : समाचार ऑनलाइन  दिल्ली में एक बार फिर किसान सड़क पर उतर कर अपना दर्द बयां कर रहे हैं वह बताना चाहते हैं कि वह परेशान हैं। किसानों की यह परेशानी राष्टीय अपराध ब्यूरो के आंकड़े भी बताते हैं लोकसभा में दी गई जानकारी के अनुसार हर साल औसतन 12 हज़ार अन्नदाता मौत को गले लगा रहे हैं। पिछले 20 साल में करीब 3 किसानों ने तंगहाली में अपनी जान दे दी है पहले पंजाब, यूपी जैसे राज्यों के किसान आत्महत्या जैसा कदम उठाने से बचते थे, लेकिन अब वहां से भी इस तरह की खबरें बढ़ने लगी है

सरकारी आकड़ों के मुताबिक पिछले २० साल में करीब 3 लाख किसान आत्महत्या कर चुके हैं। 1997-2006 के बीच के आकड़ों पर गौर करें तो करीब 1,66, 304 किसानो ने  आत्महत्या की है आत्महत्या का यह मामला देश में उदारीकरण लागू होने के बाद यानि 1991 से बढ़ा है। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़े बताते हैं कि 2008  में 16,196, 2009 में 17 हज़ार 368 किसानों ने आत्महत्या की है 2004 के बाद से हालात ज्यादा ख़राब हुए 


किसानों की आत्महत्या के मामले में महाराष्ट्र का मराठवाड़ा क्षेत्र, कर्नाटक, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश जैसे राज्य प्रमुखता से हैं। 2001 की जनगणना एक और चौंकाने वाला खुलासा करती है इसके मुताबिक पिछले दस वर्षों के दौरान करीब 71 लाख किसानों ने खेती बाड़ी का सौदा मानकर खेती खलिहानी करना ही छोड़ दिया सुप्रीम कोर्ट में दायर एक हलफनामें में केंद्र सरकार ने माना है कि हर साल करीब 12,602 किसान आत्महत्या कर रहे हैं इनमें से 8007 उत्पादक किसान हैं और 4,595 के करीब खेतिहर मजदुर आदि हैं 2014 में 12360, 2015 में 12602 और 2016 में 11370 किसानों ने आत्महत्या की