किसानों के मार्च ने मुंबई की रफ्तार पर ब्रेक लगाया

सीएम देवेंद्र फडणवीस ने किसानों से की बात

मुंबई : समाचार ऑनलाइन – सूखे के लिए मुआवजा और आदिवासियों को वन अधिकार सौंपे जाने की मांग को लेकर राज्य के विभिन्न क्षेत्रों से लगभग 30 हजार की संख्या में पहुंचे किसानों व आदिवासियों ने गुरुवार को जोरदार प्रदर्शन किया. आजाद मैदान पर विशाल जनसागर उमड़ा. किसानों ने इस मार्च को ‘उलगुलान मोर्चा’ नाम दिया है. मोर्चे के कारण कई जगहों पर ट्रैफिक व्यवस्था चरमरा गई. किसानों की तादाद और उनके गुस्से को देखते हुए ट्रैफिक अलर्ट जारी किया गया था. इस बीच, जलसंसाधन मंत्री गिरीश महाजन ने सोमय्या मैदान पहुंचकर किसानों से बातचीत की तथा उनकी समस्याएं जल्द से जल्द हल करने का आश्वासन दिया. उन्होंने कहा कि जनता को भाजपा सरकार से काफी उम्मीदें हैं और इसलिए लोग मोर्चे निकाल रहे हैं. आजाद मैदान या कहीं पर भी भोजन की व्यवस्था नहीं थी, जिसके कारण किसान भूखे थे. कई किसान मांगें मंजूर होने तक भोजन न करने पर अड़े थे. इस बीच 400 से अधिक किसानों के बीमार पड़ने की खबर मिली.

सीएम देवेंद्र फडणवीस ने खुद किसानों से बात करने की बात कही. खबरों के अनुसार प्रतिभा शिंदे सहित 18 लोगों के प्रतिनिधिमंडल को बुलाकर सीएम फडणवीस ने बातचीत के लिए बुला लिया. इस प्रतिनिधिमंडल में प्रतिभा शिंदे, बी.जी. कोलसे-पाटिल, झिलाबाई, पारोमिता गोसावी, भारत बारेला, पन्नालाल मावले, सचिन धांडे, राजेंद्र गायकवाड़, केशव वाघ, दीपू पवार, कुधा बारेला, एकनाथ शिंदे, ज्योति बडेकर आदि शामिल रहे. किसानों के मोर्चे को कांग्रेस, एनसीपी व मनसे सहित विपक्षी दलों ने समर्थन दिया. मनसे अध्यक्ष राज ठाकरे ने आजाद मैदान में आंदोलनकारियों से मुलाकात की. इसके अलावा एनसीपी विधायक विद्या चव्हाण व शशिकांत शिंदे भी वहां पहुंचे.

गुरुवार की सुबह पांच बजे किसानों ने चूनाभट्टीह से सुबह पांच बजे यात्रा शुरू की. ये किसान आजाद मैदान में पहुंचे और विशाल सभा में भाग लिया. साउथ मुंबई से शुरू हुई किसानों की यात्रा जेजे फ्लाईओवर, लालबाग फ्लाईओवर और परेल फ्लाईओवर होते हुए दादर की तरफ बढ़ी और फिर आजाद मैदान पहुंची. ट्रैफिक पुलिस ने इन इलाकों की ओर जा रहे और वहां से आ रहे ट्रैफिक के लिए अलर्ट जारी किया था. किसानों ने अपनी मांगों को लेकर बुधवार दोपहर से पैदल यात्रा शुरू की थी. पैदल यात्रा करते हुए वह सायन के सोमैया मैदान पहुंचे और रात में यहीं डेरा डाल दिया. कार्यक्रम के मुताबिक, किसानों की योजना विधानभवन का घेराव करने की भी है. उन्हें विधानभवन की तरफ जाने से रोकने के लिए पुलिस ने पुख्ता प्रबंध किए हैं.

ये हैं किसानों की मुख्य मांगें किसान स्वामीनाथन रिपोर्ट को लागू करने की मांग कर रहे हैं. स्वामीनाथन रिपोर्ट में यह सुझाव दिया गया है कि जमीन और पानी जैसे संसाधनों तक किसानों की निश्चित रूप से पहुंच और नियंत्रण होना चाहिए. वे न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने और इसे लागू करने के वास्ते न्यायिक तंत्र की भी मांग कर रहे हैं. किसान कृषि संकट से निपटने के लिए संघर्ष कर रहे हैं और राज्य में बीजेपी की सरकार द्वारा पिछले साल घोषित कर्ज माफी पैकेज को उचित तरीके से लागू करने, किसानों के लिए भूमि अधिकार और खेतिहर मजदूरों के लिए मुआवजे की मांग कर रहे हैं.