कभी चलाते थे सिक्स सीटर; अब चलाएंगे मनपा का सभागृह

पिंपरी। समाचार ऑनलाइन
बीते दिन पिंपरी चिंचवड़ शहर के नए महापौर चुने गए राहुल जाधव चुनाव से कई माह पहले से चर्चा में थे। स्थायी समिति अध्यक्ष पद पर मौका न मिलने से नाराज होकर उन्होंने सदस्य पद से भी इस्तीफा दे दिया, तब से वे लगातार चर्चा के घेरे में रहे। अब जब वे पिंपरी चिंचवड़ के नए महापौर चुने गये हैं तब उनको लेकर एक नई चर्चा शुरू हो गई है। वह है उनके पुराने प्रोफेशन की। दस साल पहले तक सिक्स सीटर रिक्शा चलाकर अपने परिवार का भरण पोषण करने वाला एक नवजवान आज पिंपरी चिंचवड़ का महापौर चुना गया है। कभी रिक्शा चलाने वाले जाधव अब 128 नगरसेवकों वाले सभागृह का कामकाज चलाएंगे।

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दस साल पहले ऑटो रिक्शा चलाकर 200 रुपए की कमाई भी मुश्किल से करने वाले राहुल जाधव की जिंदगी आज बिल्कुल बदल गई है। पिछले एक दशक में उनकी जिंदगी में सबकुछ बदल गया। चूंकि अब वो ऑटो रिक्शा ड्राइवर नहीं रहे। बीते शनिवार को 36 साल के जाधव पिंपरी चिंचवड़ मनपा मुख्यालय पहुंचे और कुछ घंटे बाद उन्हें औद्योगिक शहर पिंपरी-चिंचवाड़ का महापौर घोषित कर दिया गया। 10वीं क्लास तक भी पढ़ाई पूरी ना कर सकने वाले वाले राहुल जाधव ने इस दौरान नम आखों से कहा, मैं साधारण लोगों का दर्द समझता हूं। खासकर ऑटो रिक्शा ड्राइवरों का। मैं अपने मेयर कार्यक्रम में गरीबों के उत्थान के लिए कार्य करुंगा।
जाधव ने साल 1997 से 2002 तक सिक्स सीटर रिक्शा चलाया। 2002 में खेतीबाड़ी करने लगे। हालांकि कुछ दिनों बाद ही उन्होंने खेती का काम यह कहकर छोड़ दिया कि इसमें अब लाभ नहीं रहा और निजी कंपनी में ड्राइवर की नौकरी करने लगे। इस दौरान राज ठाकरे के भाषणों से प्रभावित होकर जाधव महाराष्ट्र नव निर्माण सेना (मनसे) में शामिल हो गए। किस्मत ने भी उनका खूब साथ दिया। 2012 में मनसे के टिकट पर चुनाव लड़ा तो नगरसेवक बन गए। 2017 में निकाय चुनाव से ठीक पहले जाधव ने भाजपा का दामन थाम लिया और जाधववाड़ी इलाके से तीन हजार से अधिक वोटों से जीत दर्ज कर दोबारा पिंपरी मनपा सभागृह में कदम रखा।
इसी साल स्थायी समिति अध्यक्ष पद के चुनाव के दौरान राहुल जाधव का नाम रेस में सबसे आगे था, इसकी वजह भी वैसी थी। सत्ता परिवर्तन के बाद महापौर पद भाजपा विधायक महेश लांडगे के समर्थक नितिन कालजे और स्थायी समिति अध्यक्ष पद भाजपा शहराध्यक्ष व विधायक लक्ष्मण जगताप की समर्थक सीमा सावले को मिला। दूसरे साल इसके ठीक विपरीत होना तय हुआ था। मगर आखिरी क्षण में जगताप की कारगुजारी से राहुल जाधव मौका चूक गए। तब से उनका महापौर बनना तय माना जा रहा था। शनिवार को जैसी उम्मीद थी ठीक वैसे ही वे महापौर चुनाव जीत गए। राज ठाकरे और मनसे की बदौलत वे राजनीति में आ सके और आज महापौर पद तक पहुंच सके। उनके इस बयान से प्रभावित होकर मनसे एक एकमात्र नगरसेवक सचिन चिखले ने अपना वोट भी उन्हें दिया।