भारत बंद पर अटल हैं दलित संगठन

नई दिल्ली। समाचार ऑनलाइन 

एससी/एसटी एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किये गए बदलाव को खत्म करने के लिए भले ही केंद्र सरकार ने कैबिनेट में प्रस्ताव पास कर दिया है। मगर दलित संगठन सरकार के इस कदम से सहमत नहीं हैं। उनका कहना है कि सरकार उन्हें बरगलाने की कोशिश कर रही है और इसलिए एससी/एसटी एक्ट दोबारा उसी रूप में लागू होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा। अपनी इसी मांग को लेकर दलित संगठनों ने 9 अगस्त को भारत बंद की घोषणा की है और इसे सफल बनाने के लिए तमाम राजनीतिक दलों से संपर्क किया जा रहा है।

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ऑल इंडिया अंबेडकर महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अशोक भारती ने कहा कि सरकार उनके आंदोलन को भटकाने के लिए उन्हें गुमराह कर रही है। सच्चाई यह है कि एक्ट में सुप्रीम कोर्ट द्वारा किए गए बदलाव को खत्म करने के लिए अंतिम रूप से कानून बनने में अभी कई चरण हैं। सरकार आंदोलन को टालने के बाद कोई भी तकनीकी पहलू का बहाना बनाकर इसे पारित करने से बचने की कोशिश करेगी। इसलिए जब तक कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक्ट में किए गए बदलाव को खत्म नहीं किया जाता, उनका आंदोलन जारी रहेगा।

एक अगस्त को देश के 22 राज्यों के दलित नेताओं के साथ उनकी मुलाकात कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी से हुई थी। उन्होंने नौ अगस्त को भारत बंद को सफल बनाने में अपनी सहमति दी है। भारत बंद को सफल बनाने के लिए उन्होंने देश के सभी गैर भाजपाई-गैर आरएसएस विचारधारा वाले संगठनों से सहयोग मांगा है। इस संदर्भ में उनकी मुलाकात तेलगूदेशम पार्टी, टीआरएस और टीएमसी के प्रतिनिधियों से हो चुकी है। आने वाले समय में वे कुछ अन्य शीर्ष दलों के नेताओं से मुलाकात करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि उनका आंदोलन पूरी तरह अहिंसक होगा, लेकिन उन्हें इस बात की आशंका है कि कुछ असामाजिक तत्त्व उनके आंदोलन को बदनाम करने के लिए उनके समर्थकों पर हिंसा कर सकते हैं। पिछली बार जब दो अप्रैल को उन्होंने भारत बंद का आयोजन किया था, तब उनके कार्यकर्ताओं पर हमले किये गए थे। इन हमलों में उनके कई कार्यकर्ताओं की मौत भी हो गई थी। उन्होंने कहा कि हिंसा रोकना राज्य सरकारों की नैतिक और कानूनी जिम्मेदारी है और उन्हें इसे निभाना चाहिए।