‘मलाई’ के लिए ठेकेदार से हाथापाई मामले में नया खुलासा! 

पिंपरी। समाचार ऑनलाइन – ठेकेदारों से मिलनेवाले कमीशन की मलाई को लेकर पिंपरी चिंचवड मनपा के नगरसेवक अक्सर विवादों में घिरते रहे हैं। मगर बीते दिन मनपा मुख्यालय में कमीशन की मलाई को लेकर ठेकेदार से हाथापाई किए जाने का चौंकानेवाला मामला सामने आया है। यह हाथापाई नगरसेवक ने नहीं बल्कि सत्तादल भाजपा की एक नगरसेविका, जोकि मनपा की नई शिक्षा समिति की पदाधिकारी भी है, के पति परमेश्वर द्वारा किये जाने जानकारी मिली है। अब इस मामले में नगरसेवकों को कमीशन की मलाई चटाने में प्रशासन की मिलीभगत रहने का खुलासा हुआ है। सन्त रोहिदास चर्मोद्योग व चर्मकार विकास महामंडल से मनपा स्कूलों के 1ली से 7वीं कक्षा के विद्यार्थियों को स्कूली जूते और पीटी जूते व सॉक्स की आपूर्ति के लिए आपूर्ति करने वाले ठेकेदार को दिया गया वर्क आर्डर उसी दिन वापस लिए जाने की जानकारी सामने आई है।

इस पूरे विवाद का मुख्य कारण मनपा स्कूलों के विद्यार्थियों को जूतों की आपूर्ति का ठेका बताया जा रहा है। तकरीबन दो करोड़ रुपए का यह ठेका, जिसके साथ हाथापाई की गई उस ठेकेदार को मिला है। इसका प्रस्ताव भी स्थायी समिति ने ‘बाकायदा’ मंजूर किया है। अब बात मनपा के दूसरे पदाधिकारियों के ‘हिस्से’ में अटकी हुई है। इसी ‘हिस्से’ को लेकर शिक्षा समिति की महिला पदाधिकारी के पति और संबंधित ठेकेदार के बीच विवाद चल रहा है। इस विवाद के चलते मनपा स्कूलों के विद्यार्थियों को जूतों का वितरण अधर में लटका है। यही विवाद बढ़ गया और बात हाथापाई तक पहुंच गई। इस हाथापाई के बारे में पुलिस में अब तक कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई गई है। जब संबंधित ठेकेदार से फोन पर इस बारे में पूछा गया तो वह फिलहाल कोई बातचीत करने की मनःस्थिति में नहीं पाया गया।

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मनपा में सत्तादल भाजपा के दूसरे आला नेताओं और पदाधिकारियों से जानकारी हासिल करने की कोशिश की गई तो कइयों ने मौन धारण कर लिया जबकि कुछ ने मामूली विवाद होने की बात कही, मगर हाथापाई की बात से इनकार कर दिया। हालांकि कल दोपहर से पूरे मनपा गलियारे में ठेकेदार और भाजपा की महिला पदाधिकारी के बीच हाथापाई की चर्चा जोरशोर में चल रही है। इसी बीच एक और नई जानकारी सामने आई है। सन्त रोहिदास चर्मोद्योग व चर्मकार विकास महामंडल से मनपा स्कूलों के 1ली से 7वीं कक्षा के विद्यार्थियों को स्कूली जूते और पीटी जूते व सॉक्स की आपूर्ति की जानी है। इसके लिए 6 अक्टूबर को जूतों की आपूर्ति करने वाले ठेकेदार को वर्क आर्डर दिया गया। चौंकानेवाली बात यह है कि शिक्षा विभाग के प्रशासन अधिकारी ने उसी दिन अपने दिए वर्क ऑर्डर को वापस भी ले लिया। इससे यह साफ है कि कमीशन को लेकर जारी इस पूरे विवाद में शिक्षा विभाग के प्रशासन की भी मिलीभगत है।