मुंबई, 24 मई : बालकों को कोरोना संक्रमण होता है तो भी 95% बालकों में हलके लक्षण होंगे और वे होम आइसोलेशन में ही ठीक हो जाएंगे। ऐसे में तीसरी लहर से डरे नहीं। यह सलाह बल रोग विशेषज्ञों के कृति दल के डॉक्टर्स ने दी है।
कोरोना की तीसरी लहर का मुकाबला करने और छोटे बच्चों के उपचार को लेकर मार्गदर्शन करने के लिए मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के माझा डॉक्टर कांसेप्ट पर रविवार को राज्य भर के डॉक्टर्स के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंस आयोजित किया गया था। कृति दल के प्रमुख डॉ. सुहास प्रभु, डॉ. विजय येवले, डॉ. परमानंद अंदणकर के साथ हेल्थ एजुकेशन डिपार्टमेंट के डायरेक्टर डॉ. तात्याराव लहाने, डॉ. शशांक जोशी, डॉ. संजय ओक से बातचीत की।
होम आइसोलेशन व्यवस्था को लेकर डॉ. प्रभु ने कहा कि बच्चों में लक्षण दिखने के बाद अभिभावक डॉक्टर के पास जाते है। यहां पर डॉक्टर की भूमिका महत्वपूर्ण हो जाती है। लक्षण के अनुसार बालकों हॉस्पिटल भेजना है या घर पर रखना है इसका निर्णय ले। बालकों को घर भेजना है तो ये देखे कि घर में कितने लोग कोरोना संक्रमित है, कितने कमरे है, घर में कौन बुजुर्ग या जोखिम वाले लोग है। इसकी जानकारी डॉक्टर को दे। बच्चा बहुत छोटा हो और वह मां के बिना नहीं रह सकता है तो मां पुरे टाइम मास्क लगाकर बच्चे की देखभाल कर सकती है। उचित सावधानी के साथ स्तनपान करा सकते है। बच्चा होम आइसोलेट हो फिर भी हर दिन डॉक्टर फ़ोन पर उसकी जानकारी ले। किसी के लक्षण खतरनाक हो सकते है। ऐसे समय में तुरंत डॉक्टर से सलाह ले. यह जानकारी डॉक्टर्स अभिभावकों को दे।
टेस्टिन आवश्यक
बालकों की टेस्टिंग या आरटीपीसीआर टेस्ट किया जाता है। लेकिन बालकों की बीमारी का पता लगाने के लिए सिटी स्कैन या अन्य कोई जांच नहीं कराये।
अन्य बीमारी होने पर
बालकों को जन्मजात हार्ट डिजीज, डाइबिटीज, एचआईवी या मोटापा होने पर खतरा बढ़ने की आशंका है। संभव हो तो ऐसे बालकों का हॉस्पिटल में एडमिट कराकर उपचार कराये। डॉ. विजय ने कहा कि बच्चे में मानसून के जुड़े लक्षण है या कोरोना इसकी जांच कराये। बुखार आने पर पैरासिटामोल और अन्य लक्षण के अनुसार दवा दे।
नियमित वेक्सीनशन